मध्य प्रदेश के इंदौर में गुरुवार (30 मार्च) को हुई मंदिर त्रासदी में शोक से ऊपर उठकर 8 परिवारों ने मृतक परिजनों के शरीर के अंग दान किए। गौरतलब है कि इंदौर में रामनवमी के दिन पटेल नगर में श्री बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर पर बावड़ी की छत धंसने से 50 से अधिक लोग बावड़ी में जा गिरे। हादसे में 36 लोगों की मौत हो गई।
जिसके बाद इंदौर में मंदिर की बावड़ी की छत गिरने से मारे गए 36 व्यक्तियों में से आठ के परिवारों ने अपने मृतक परिजनों के शरीर के अंगों को दान किया है। स्वैच्छिक संगठन मुस्कान ग्रुप ने कहा कि बड़े दिल वाले परिवार अपने प्रियजनों की त्वचा और आंखें दान करने के लिए सहमत हुए, जिन्हें उन्होंने रामनवमी के अवसर पर बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में आयोजित हवन के दौरान बावड़ी की छत गिरने के बाद खो दिया था।
8 मृतकों के परिजनों ने दान किए शरीर के अंग
संगठन के संदीपन आर्य ने कहा, “परिजनों को मनाने के बाद, हमने डॉक्टरों और अफसरों के साथ समन्वय किया। भारी मन से, दुख में डूबे परिवारों ने अपने मृत परिजनों को दूसरों में देखने के लिए अंगदान के लिए हामी भर दी।” उन्होंने कहा, “अभी तक इंद्र कुमार, भूमिका खानचंदानी, जयंती बाई, दक्ष पटेल, लक्ष्मी पटेल, भारती कुकरेजा, इंदर चंदकी और कनक पटेल के परिवार के सदस्यों ने आंख और त्वचा दान के लिए अपनी लिखित सहमति दी है। उनकी आंखें इस क्षेत्र में काम करने वाली संस्था एमवाय अस्पताल और संकरा आई बैंक को दान की गई हैं।”
इंदौर के अतिरिक्त जिलाधिकारी अजयदेव शर्मा ने पीटीआई-भाषा को बताया, “अंग दान के क्षेत्र में काम करने वाली स्वयंसेवी संस्था मुस्कान ग्रुप की ओर से एक अनुरोध आया। जिला प्रशासन ने उन्हें सहमति और अन्य सहायता दिलाने में मदद की।”
इंदौर के झूलेलाल मंदिर की छत गिरने से 36 की मौत
इंदौर के जिस पटेल नगर स्थित मंदिर में बावड़ी में गिरकर 36 श्रद्धालु काल के गाल में समा गए वहां करीब 24 घंटे चले बचाव अभियान के दौरान बावड़ी से निकाला गया। स्थानीय नागरिकों ने बताया कि यह हादसा शहर के इतिहास की सबसे भीषण दुर्घटना के रूप में दर्ज हो गया है जिसमें 21 महिलाओं और दो बच्चों ने भी जान गंवाई है।
मंदिर के पास रहने वाले अनिल भटेवरा ने पीटीआई-भाषा को बताया,‘‘रामनवमी के दिन मंदिर में बृहस्पतिवार 12:00 बजे के आस-पास दुर्घटना हुई। कुछ महिलाएं बदहवास हालत में दौड़कर मेरे पास पहुंचीं और बताया कि कई लोग बावड़ी में गिर गए हैं।’’ भटेवरा ने कहा,‘‘मैं मंदिर के नजदीक ही रहता हूं, लेकिन बावड़ी में गाद इतनी थी कि हमें लोगों के इसमें गिरने की कोई आवाज ही नहीं आई। हम तुरंत मंदिर में पहुंचे और 17-18 लोगों को बावड़ी से बाहर निकाला।’’