खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह अभी भी फरार है। पंजाब पुलिस और जांच एजेंसियां उसकी तलाश कर रही हैं। वहीं मंगलवार को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab and Haryana High Court) में अमृतपाल को लेकर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान पंजाब के महाधिवक्ता विनोद घई (Punjab Advocate General Vinod Ghai) ने कहा कि ‘वारिस पंजाब दे’ का प्रमुख अमृतपाल सिंह (Waris Punjab De chief Amritpal Singh) पुलिस हिरासत में नहीं था। लेकिन पुलिस उसे गिरफ्तार करने के करीब थी। जबकि अदालत ने अमृतपाल सिंह के वकील को सबूत देने के लिए कहा था कि उसे अवैध हिरासत में रखा जा रहा है।
अमृतपाल सिंह के कानूनी सलाहकार और मामले में याचिकाकर्ता एडवोकेट इमान सिंह खारा (Advocate Imaan Singh Khara) ने कहा कि उनके मुवक्किल को अवैध रूप से हिरासत में रखा जा रहा था। न्यायमूर्ति एनएस शेखावत (Justice NS Shekhawat) की अध्यक्षता वाली पीठ ने इमान सिंह खारा से इस दावे का समर्थन करने के लिए सबूत पेश करने को कहा।
न्यायमूर्ति एनएस शेखावत ने याचिकाकर्ता को कहा कि यदि वे साक्ष्य प्रदान कर सकते हैं, तो वह संबंधित अधिकारियों को छापेमारी करने और याचिकाकर्ता को राहत प्रदान करने का निर्देश देंगे। हालांकि न्यायमूर्ति एनएस शेखावत ने यह भी अनुरोध किया कि याचिकाकर्ता अमृतपाल सिंह की अवैध हिरासत के संबंध में सबूत पेश करे।
न्यायमूर्ति एनएस शेखावत ने जोर देकर कहा कि पंजाब का रुख स्पष्ट था कि अमृतपाल सिंह हिरासत में नहीं थे और याचिकाकर्ता को इस बात का सबूत देने के लिए कहा गया है कि उन्हें अवैध रूप से रखा जा रहा है। सुनवाई 28 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी गई और अदालत ने पंजाब राज्य को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। अदालत ने पंजाब के संबंधित महानिरीक्षक (Inspector General of Punjab) को मामले में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।
बता दें कि अकाल तख्त ने अमृतपाल को सरेंडर करने और जांच में सहयोग करने की सलाह दी है। वहीं अकाल तख्त ने अमृतपाल के समर्थन करने पर गिरफ्तार किये गए लोगों को पुलिस से छोड़ने को कहा है। अकाल तख्त ने इसके लिए 24 घंटे का अल्टीमेटम भी दिया है।