हिमाचल सरकार ने कॉपी किया यूपी का ‘लव जिहाद’ क़ानून, 2012 में कोर्ट द्वारा ख़ारिज किया जा चुका प्रावधान भी रखा
हिमाचल प्रदेश सरकार ने भी धर्मपरिवर्तन विरोधी कानून को लागू कर दिया है। इस कानून के कई प्रावधान उत्तर प्रदेश सरकार के कानून से शब्दशः मिलते हैं।

उत्तर प्रदेश के बाद सभी बीजेपी शासित राज्य धर्मांतरण के खिलाफ कानून ला रहे हैं। हिमाचल प्रदेश सरकरा ने भी पिछले हफ्ते ऐसा कानून लागू कर दिया। इसके प्रावधान भी योगी आदित्यनाथ सरकार के कानून से ही मिलते जुलते हैं। इसके मुताबिक किसी शख्स को धर्म परिवर्तन करने से पहले प्रशासन को इसकी जानकारी देनी होगी। इसके मुताबिक केवल शादी के लिए धर्म परिवर्तन करना गैरकानूनी होगा। ऐसा ही कानून जब साल 2012 में तब की कांग्रेस सरकार लेकर आई थी तो हाई कोर्ट ने इसे असंवैधानिक और मौलिक अधिकारों का हनन करार दिया था।
हिमाचल प्रदेश के कानून में कई प्रावधान उत्तर प्रदेश के धर्मपरिवर्तन विरोधी कानून से शब्दशः मिलते हैं। यह कानून दूसरे बीजेपी शासित राज्यों के लिए एक उदाहरण की तरह हो गया है। हिमाचल प्रदेश के कानून के सेक्शन 7 में कहा गया है कि धर्म परिवर्तन करने से पहले शख्स को डीएम को यह सूचित करना होगा कि वह बिना किसी दबाव के अपने मन से धर्म परिवर्तन कर रहा है।
30 अगस्त 2012 को दो जजों की बेंच ने हिमाचल प्रदेश धर्म की स्वतंत्रता कानून 2006 पर रोक लगा दी थी। इसे उस समय की कांग्रेस सरकार ने पास किया था। इसके कुछ प्रावधानों को असंवैधानिक करार दे दिया गया था। इसके बाद न तो सरकार ने ही इस आदेश को चुनौती दी और न ही किसी प्राइवेट पार्टी ने। हाई कोर्ट की बेंच ने कहा था, ‘किसी से क्यों कहा जा रहा है कि वह अपने धर्म की जानकारी दे? कोई प्रशासन को क्यों बताए कि वह अपने धर्म में परिवर्तन कर रहा है?’
हिमाचल प्रदेश के नए कानून में प्रावधान है कि अगर नियमों का पालन नहीं किया जाता है तो जेल की सजा हो सकती है। इसके लिए धर्म बदलने वाले को तीन महीने और धर्म परिवर्तन करवाने वाले को 6 महीने से लेकर दो साल तक की सजा का प्रावधान है। कोर्ट से वॉरंट के बिना ही पुलिस मामले की जांच कर सकती है और यह अपराध गैरजमानती होगा। 2006 के कानून में जबरन धर्म परिवर्तन की ही बात थी, इसमें शादी के लिए धर्म परिवार्तन की बात शामिल नहीं थी।
नए कानून में जबरन धर्म परिवर्तन करवाने के साथ लालच देकर, पहचान छिपाकर शादी करके धर्म परिवर्तन करने पर भी सजा का प्रावधान है। उत्तर प्रदेश के कानून के मुताबिक मैजिस्ट्रेट ही धर्म बदलने की इजाजत देगा जबकि हिमाचल प्रदेश में एक नोटिस देने से ही काम चल जाएगा।