Himachal Pradesh BJP Defeat: हिमाचल के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के कामकाज को लेकर भाजपा संगठन ही नहीं, बल्कि मंत्रियों के बीच भी पिछले तीन चार सालों से लगातार पनप रहा असंतोष और बागियों की बड़ी फौज का चुनाव मैदान में उतर जाना भाजपा की हार का कारण बना हैं। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को हाशिए पर धकेलना भी भाजपा को मंहगा पड़ा हैं।
जयराम ठाकुर से नाराज थे विधायक और मंत्री
कोविड महामारी व उसके बाद से जय राम ठाकुर के कामकाज से न तो विधायक खुश थे और न ही मंत्री। बेशक प्रधानमंत्री और भाजपा आलाकमान उनकी तारीफ के कसीदें पढ़ते रहें लेकिन अंदरखाते विधायकों व मंत्रिमंडल में कोई समन्वय नहीं था। इस बीच 2021 के शुरू में हुए चार नगर निगमों चुनावों में से दो में पार्टी की हार के बाद उन्हें हटाने की बात चलती रही लेकिन उन्हें हटाया नहीं गया। नगर निगम के बाद हुए उप चुनावों में भी भाजपा तीनों विधानसभा व एक लोकसभा की सीट हार गई।
कई मंत्री सीएम को हटाने की कर रहे थे मांग
यही नहीं जुब्बल कोटखाई में तो भाजपा प्रत्याशी उन्हें तब भी मुख्यमंत्री के पद से हटाने की बात होती रही लेकिन उन्हें तब भी नहीं हटाया गया। इससे मंत्रियों में उनके खिलाफ असंतोष तो था ही विधायकों के काम भी नहीं होते थे। यही नहीं उप चुनावों में मिली हार के बाद मुख्यमंत्री ही नहीं कई मंत्रियों को हटाने की बातें भी सामने आती रहीं लेकिन भाजपा आलाकमान ने गुजरात व उतराखंड की तर्ज पर कुछ नहीं किया।
Himachal Pradesh Election Result Update । Gujarat Vidhan Sabha Chunav Result News Updates । By-Election Assembly Election Results
आखिर में इसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा और पार्टी रिवाज बदलने में नाकाम रही। उधर, संगठन के तौर पर भी एक खेमे को लगातार हाशिए पर धकेला जाता रहा। धूमल और उनके खेमे को लगातार हाशिए पर रखा गया। यही नहीं धूमल को तो चुनाव प्रचार में भी इतनी तरजीह नहीं दी गई।
टिकट आबंटन और हलके बदलने का भी पड़ा असर
भाजपा में टिकट बांटने के बाद पार्टी में घमासान हो गया और पार्टी के 24 बागी चुनाव मैदान में उतर गए । इससे पार्टी को नुकसान उठाना पडा। इसके अलावा पार्टी ने अपने दो मंत्रियों के हलके ही बदल डाले शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज को शिमला शहरी से कसुम्प्टी भेज दिया गया जबकि वन मंत्री राकेश पठानिया को नूरपूर से फतेहपुर भेज दिया गया। इसके अलावा भाजपा विधायक रमेश ध्वाला और पूर्व मंत्री रविंद्र सिंह रवि के साथ भी यही किया गया उनके हलकों की अदला-बदली कर दी गई। ध्वाला को उनके हलके ज्वालामुखी के बजाय देहरा और रविंद्र सिंह रवि को उनके हलके देहरा के बजाय ज्वालामुखी से टिकट दे दिया गया । भाजपा इन दोनों ही सीटों को हार गई। जिन मंत्रियों के हलके बदले गए थे वे दोनों भी हार गए।