ITBP को सलाम! 15 घंटे, 40Km पैदल चल जख्मी महिला को स्ट्रेचर पर ले गए जवान, दुर्गम पहाड़ों और उफनते नालों को किया पार
न्यूज़ एजेंसी एएनआई ने जवानों का एक वीडियो साझा किया है जिसमें वे महिला को स्ट्रेचर पर लिटा कर उफनता नाला पार कर रहे हैं।

सीमा पर देश की रक्षा के लिए तैनात हमारे जांबाज जवान दुश्मनों को तो मुंहतोड़ जवाब देते ही हैं, इसके ही साथ वे कई बार आम नागरिकों के लिए बहुत बड़े मददगार साबित होते हैं। ऐसा ही एक मामला उत्तराखंड के दूरदराज के गाँव लप्सा से सामने आ रहा है, जहाँ भारत तिब्बत सीमा बल (ITBP) के जवानों ने एक घायल महिला को अस्पताल पहुँचाने में मदद की।
लप्सा गाँव में बुनियादी सुविधाएँ ना के बराबर हैं और यह क्षेत्र बाकी जगहों से पूरी तरह से कटा हुआ है। यहां से थोड़ी बहुत सुविधाओं से युक्त मुनस्यारी कस्बा 40 किलोमीटर की दूरी पर है। गांव से मुनस्यारी जाने के लिए कोई ठीक-ठाक सड़क भी नहीं है।
घायल महिला को इलाज की सख्त जरूरत थी। इसलिए आईटीबीपी के जवानों ने महिला को स्ट्रेचर पर लिटा के पैदल ही मुनस्यारी का सफ़र शुरू कर दिया। यह सफ़र बहुत ही दुर्गम था। इस रास्ते में कई उफनते नदी नाले मौजूद हैं। इसके साथ ही बीच में कई पहाड़ों से अक्सर भूस्खलन की घटनाएँ सामने आती रहतीं हैं। इस सफ़र को तय करने में जवानों को 15 घंटों का वक्त लगा। इसके बाद महिला को अस्पताल में भर्ती कराया जा सका है।
न्यूज़ एजेंसी एएनआई ने अपने ट्विटर हैंडल से जवानों का एक वीडियो साझा किया है जिसमें वे उफनते नाले के रास्ते से बहुत ही सावधानी से महिला को ले जा रहे हैं।
#WATCH: ITBP jawans travelled 40-km on foot for 15 hours carrying an injured woman on a stretcher from a remote village, Lapsa to Munsyari in Pithoragarh, Uttarakhand yesterday. During this journey, they crossed flooded nullahs & landslide-prone areas: ITBP pic.twitter.com/kTycp5IizR
— ANI (@ANI) August 23, 2020
वीडियो को देखकर कई ट्विटर यूजर्स ने अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं। यूजर मल्लिका सोनी ने लिखा है कि सेना के जवान हमारे देश के असली हीरो हैं। देश की सरहदों के पास रह रही लोगों के लिए कई बार सेना के जवानों को मदद करते देखा गया है। यहां पर उन नेताओं से जरूर सवाल पूछना चाहिए जो हर 5 साल में जनता को बड़े-बड़े सपने दिखाते हैं। क्या 5 ट्रिलियन डॉलर और बुलेट ट्रेन जैसे सपने देखने वाले हमारे देशवासियों को अपने गांव में रोड और अस्पताल जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिलनी चाहिए?
सेना के जवान देश के असली हीरो हैं। यहां पर उन नेताओं से जरूर सवाल पूछना चाहिए जो हर 5 साल में जनता को बड़े-बड़े सपने दिखाते हैं। क्या 5 ट्रिलियन डॉलर और बुलेट ट्रेन जैसे सपने देखने वाले हमारे देशवासियों को अपने गांव में रोड और अस्पताल जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिलनी चाहिए?
— Mallika Soni (@MallikaSoniMS) August 23, 2020
वहीं एक अन्य यूजर होमटाउन बॉय ने लिखा है कि उत्तराखंड को नवम्बर में अलग राज्य बने हुए 20 साल हो जाएँगे लेकिन राज्य में आज भी स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल है। यह घटना पिथौरागढ़ जिले की है जो कुमाऊँ क्षेत्र का सबसे बड़ा जिला है। पहाड़ी ज़िलों के दूर दराज गाँवो में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति सबसे खराब है।
उत्तराखंड को उत्तरप्रदेश से अलग हुए 9 नवंबर को 20 साल हो जाएंगे।लेकिन आज भी स्वास्थ्य सुविधाओं को बुरा हाल है।यह घटना पिथौरागढ़ ज़िले की है,जो कुमाऊं का सबसे बड़ा ज़िला है।इसकी सीमा चीन से लगती है।पहाड़ी ज़िलों के दूर दराज गाँवो में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति सबसे खराब है।
— @Hometown Boy 3 (@3Hometown) August 23, 2020