गुजरात विधानसभा बजट सत्र में बुधवार (1 मार्च, 2023) को विधायक हार्दिक पटेल ने पहली बार सवाल करते हुए अपनी ही सरकार को घेरा। उन्होंने बीजेपी सरकार की नीति को लेकर सवाल पूछा। उन्होंने कहा कि क्या सरकार 75-100 साल पुराने, विरासत मूल्य और खराब वित्तीय स्थिति वाले स्कूलों को अपने विंग के तहत लेने के लिए तैयारी थी। स्पीकर शंकर चौधरी ने हार्दिक पटेल की सराहना की और इसे एक अच्छा सवाल बताया।
एक महीने में दूसरी बार राज्य सरकार की नीति पर उठाया सवाल
दरअसल, गुजरात सरकार आर्थिक रूप से अलाभकारी स्कूलों की संख्या कम करने की कोशिश कर रही है। एक महीने में यह दूसरी घटना है जब हार्दिक पटेल ने राज्य सरकार की नीति पर सवाल उठाया है। इससे पहले, 20 फरवरी को हार्दिक ने कृषि मंत्री राघवजी पटेल को पत्र लिखकर किसानों का मुद्दा उठाया था। उन्होंने अहमदाबाद जिले में अपने निर्वाचन क्षेत्र वीरमगाम सहित कुछ क्षेत्रों में उगाई जाने वाली देसी कपास किस्मों के लिए उचित औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) मापदंडों में बदलाव पर सवाल उठाते हुए इसे किसानों का शोषण बताया था।
हार्दिक ने कृषि मंत्री को लिखे अपने पत्र में कहा कि कपास की किस्मों के लिए लंबे समय से तय किए गए एफएक्यू पैरामीटर, अब बदल दिए गए हैं और व्यापारी कम भुगतान कर रहे हैं और किसानों को समय पर भुगतान मिल भी नहीं रहा है।
दो और भाजपा विधायक भी सरकार की नीतियों पर उठा चुके हैं सवाल
हार्दिक के अलावा, दो अन्य भाजपा विधायकों ने भी किसानों को लेकर भूपेंद्र पटेल सरकार के फैसलों पर सवाल उठाए थे। वड़ोदरा जिले के सावली से केतन इनामदार ने हाल ही में बड़ौदा डेयरी के संचालन में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए विरोध किया था और पशुपालकों के लिए न्याय की मांग की थी। इसके बाद, उपाध्यक्ष और प्रभारी अध्यक्ष जी.बी. सोलंकी ने इस्तीफा दे दिया था। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल ने भी इनामदार की तारीफ की और उन्हें पशुपालकों के हित में बोलने वाला विधायक बताया।
वहीं, सूरत के वराछा से किशोर कनानी ने जनवरी में सरकार को एक पत्र लिखकर सरकारी योजना के तहत विदेश में पढ़ने जाने वाले छात्रों को दिए जाने वाले ऋण के वितरण में देरी की शिकायत की थी। इसके साथ ही कनानी ने सूरत में भारी ट्रैफिक का भी मुद्दा, जिसके बाद लग्जरी बसों के समय को प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया गया। विधायकों द्वारा उठाए जा रहे सवालों को बीजेपी के भीतर समूहों के बीच शीत युद्ध के परिणाम के रूप में देखा जा रहा है।