एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट 1991 का जिक्र किया। ओवैसी ने कहा कि उन्हें अंदेशा है कि कहीं बाबरी मस्जिद की तरह एक और मस्जिद को न खोना पड़े। वहीं, असदुद्दीन ओवैसी ने भाजपा नेत्री उमा भारती के उस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी जिसमें उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था – ‘हमें अयोध्या के बाद काशी और मथुरा चाहिए।”
असदुद्दीन ओवैसी ने एबीपी न्यूज से बात करते हुए उमा भारती के बयान पर कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने आज फिर कहा कि 1991 का एक्ट संविधान से बेसिक स्ट्रक्चर का हिस्सा है। आप चैलेंज करिए… मैं बार-बार कहता हूं कि कोर्ट्स ऑफ लॉ को ‘वॉक द टॉक’ करने की जरूरत है। ये कोर्ट का काम है और कोर्ट को ही करना चाहिए।”
एंकर सुमित अवस्थी ने असदुद्दीन ओवैसी से पूछा, “उमा भारती ने उस बात को दोहराया है कि 1991 एक्ट का तब भी विरोध किया था और आज भी करती हैं। उन्होंने कहा कि अयोध्या के साथ काशी और मथुरा भी चाहिए, ये हमारी आस्था का मामला है।” इस पर ओवैसी ने कहा, “उमा भारती और उनकी पार्टी उस मोशन को हार गए थे। आप बताइए किसका केस 1991 एक्ट के ऊपर मजबूत है।”
मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने जुमे की नमाज से पहले अपील की थी कि लोग भीड़ इकट्ठा न करें और शांति कायम रखें। उन्होंने कहा था कि कानून पर भरोसा रखें। एंकर ने इससे जुड़ा सवाल किया कि फरंगी महली ने बिना नाम लिए कहा कि आपकी (ओवैसी) भाषा ऐसी है कि आप लोगों को उकसाने की कोशिश कर रहे हैं।”
इस पर भड़के ओवैसी ने कहा, “हिम्मत है तो नाम तो लो ओवैसी का… नाम लें.. डर क्यों रहे हैं? मैं भड़का रहा हूं तो केस दर्ज कराएं। मैं 1991 एक्ट की बात कर रहा हूं और सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट की बात कर रहा हूं। ये वही लोग हैं जो समाजवादी पार्टी की चमचागिरी कर रहे थे। लेकिन आज सपा मुंह नहीं खोल रही है। ईद पर सपा नेताओं को खजूर खिलाने वाले अखिलेश यादव से बोलें कि इस मसले पर अपना मुंह खोलें।”