कांग्रेस विधायक पर नरम पड़ी भाजपा सरकार, दंगे में शामिल होने का केस लिया वापस; जानें वजह
गुजरात की भाजपा सरकार ने कांग्रेस विधायक ललित वसोया समेत 32 अन्य से दंगे भड़काने का आरोप वापस लेते हुए केस बंद करने का फैसला किया। कोर्ट ने भी इसकी मंजूरी दे दी।

कांग्रेस विधायक ललित वसोया और पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (PAAS) के उनके पूर्व सहयोगियों को भाजपा सरकार ने राहत दे दी है। सरकार ने विधायक समेत दिनेश बांभणिया, दिलीप साबवा औऱ अमित थुम्मर और उनके साथ 28 अन्य आरोपियों पर से केस वापस लेने का फैसला किया है। उनके खिलाफ दंगे की साजिश करने का आरोप लगाया गया था। राज्य की भाजपा सरकार ने जेटपुर के ट्रायल कोर्ट में केस वापस लेने की अर्जी दी थी जिसे मंजूरी मिल गई है।
जेटपुर में प्रिंसिपल सीनियर सिविल जज पीजी गोस्वामी की कोर्ट ने सरकारी वकील महेश जोशी की याचिका को मंजूरी दे दी और वोसोया के साथ 32 अन्य लोगों से केस वापस ले लिया गया। पाटीदार आरक्षण आंदोलन 2017 के बाद उनपर दंगों की साजिश करने का आरोप लगाकर मुकदमा दर्ज कराया गया था।
वकील जोशी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘राजकोट डीएम की तरफ से हमें आदेश मिला था कि एक आवेदन दिया जाए कि सरकार इस मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहती है। सीआरपीसी के सेक्शन 321 के तहत ऐप्लिकेशन दिया गया। इसमें डीएम का आदेश भी अटैच कर दिया गया। कोर्ट ने हमारी याचिका स्वीकार कर ली और सभी आरोपियों के खिलाफ केस बंद करने का फैसला किया।’
PAAS कन्वेनर हार्दिक पटले के समर्थक लेउवा पटेल समाज के लोगों से भिड़ गए थे। इसी दौरान गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमिटी के वर्किंग प्रेजिडेंट का काफिला सरदार जौक से निकल रहा था। घटना फरवरी 2017 का है। जेटपुर टाउन पुलिस ने मामला दर्ज किया था। हार्दिक पटले देवकी गलोल गांव जा रहे थे लेकिन आरोप है कि एलपीएस ने उनका रास्ता रोकने की कोशिश की। इसके बाद दो ग्रुप में पत्थऱबाजी हो गई। जोशी ने कहा, ‘केस में जो चार्जशीट फाइल की गई थी इशमें आरोपियों के खिलाफ कोर्ट ने चार्ज नहीं फ्रेम किए थे। अब कोर्ट ने केस बंद करने की अनुमति दे दी है।’
साबवा ने कुछ दिन पहले ही बीजेपी जॉइन कर ली है। वसोया और भांडेरी ऐसे PAAS नेता हैं जिन्हें कांग्रेस ने दिसंबर 2017 में पार्टी का टिकट दिया था औऱ वे विधानसभा का चुनाव लड़े। वासोया ने धोराजी असेंबली सीट से चुनाव लड़ा था। वसोया ने केस वापस लेने के लिए राज्य सरकार को धन्यवाद दिया है। उन्होंने कहा कि वह इस मामले में शामिल ही नहीं थे। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार से केस वापस लेने के लिए कोई निवेदन नहीं किया था। कुछ दिन पहले ही जामनगर के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने बीजेपी विधायक राघवजी और चार अन्य को 2007 के दंगे मामले में दोषी करार दिया था। इस मामले में भी राज्य सरकार ने केस वापस लेने की याचिका दी थी लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। कोर्ट ने बीजेपी विधायक समेत अन्य को 6 महीने कैद की सजा सुनाई थी।
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