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Gujarat: क्या बदल जाएगा अहमदाबाद का नाम? मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने विधानसभा में दिया जवाब

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने शुक्रवार को विधानसभा में बताया कि गुजरात सरकार ने अहमदाबाद शहर का नाम कर्णावती करने के लिए केंद्र सरकार को कोई प्रस्ताव नहीं भेजा है।

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अहमदाबाद शहर (Source- Indian Railways)

कई साल बाद फिर अहमदाबाद के नाम बदलने का मुद्दा तूल पकड़ रहा है। वहीं, गुजरात सरकार ने साफ किया है कि उनकी तरफ से अहमदाबाद शहर का नाम कर्णावती करने के लिए पिछले दो सालों में केंद्र सरकार को कोई प्रस्ताव नहीं भेजा गया है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने राज्य विधानसभा में शुक्रवार (24 मार्च) को इसकी जानकारी दी।

कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक अमित चावड़ा ने प्रश्नकाल के दौरान यह जानने की कोशिश की कि क्या पिछले दो वर्षों में भाजपा सरकार द्वारा ऐसा कोई प्रस्ताव भेजा गया है और इस पर केंद्र की प्रतिक्रिया क्या है। एक लिखित उत्तर में मुख्यमंत्री ने कहा कि दो साल में कोई नाम बदलने का प्रस्ताव नहीं भेजा गया था।

ABVP ने उठाई थी मांग

इससे पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने फरवरी 2023 में घोषणा की थी कि वह अहमदाबाद का नाम बदलकर कर्णावती करने की मांग को लेकर एक अभियान शुरू करेगी। वहीं, करीब पांच साल पहले तत्कालीन उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने कहा था कि अगर कानूनी बाधाओं को दूर कर दिया जाए तो भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकार अहमदाबाद का नाम बदलकर कर्णावती करने को तैयार है।

5000 छात्रों द्वारा पारित किया गया था प्रस्ताव

अहमदाबाद का नाम बदलकर ‘कर्णावती’ करने का अभियान शुरू करने का प्रस्ताव फरवरी 2023 में एबीवीपी द्वारा आयोजित जिला स्तरीय छात्र सम्मेलन के दौरान पारित किया गया था। एबीवीपी की गुजरात इकाई की सचिव युति गाजरे ने कहा था, “अहमदाबाद का नाम बदलकर कर्णावती करने के लिए यहां आयोजित एक छात्र सम्मेलन में 5,000 छात्रों द्वारा प्रस्ताव पारित किया गया। हम राजस्व अधिकारी, जिलाधिकारी, कॉलेजों के प्रधानाचार्यों को और जहां कहीं भी अपनी मांग रखने की हमें जरूरत महसूस होगी, उन्हें ज्ञापन देंगे।”

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी याचिका

इससे पहले फरवरी 2023 में ही शहरों और कस्बों के प्राचीन नामों की पहचान के लिए ‘रिनेमिंग कमीशन’ बनाए जाने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी कोर्ट ने कहा था, “देश अतीत का कैदी बन कर नहीं रह सकता। धर्मनिरपेक्ष भारत सभी का है। देश को आगे ले जाने वाली बातों के बारे में सोचा जाना चाहिए।” दरअसल, वकील अश्विनी उपाध्याय की याचिका में कहा गया था कि क्रूर विदेशी आक्रांताओं ने कई जगहों के नाम बदल दिए। उन्हें अपना नाम दे दिया। आज़ादी के इतने साल बाद भी सरकार उन जगहों के प्राचीन नाम फिर से रखने को लेकर गंभीर नहीं है। उपाध्याय ने यह भी कहा था कि धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व की हज़ारों जगहों के नाम मिटा दिए गए।

जस्टिस के एम जोसेफ और बी वी नागरत्ना की बेंच ने याचिका में लिखी गई बातों को काफी देर तक पढ़ने के बाद जस्टिस जोसेफ ने कहा था, “आप सड़कों का नाम बदलने को अपना मौलिक अधिकार बता रहे हैं? आप चाहते हैं कि हम गृह मंत्रालय को निर्देश दें कि वह इस विषय के लिए आयोग का गठन करे?”

अहमदाबाद का इतिहास

ऐतिहासिक रूप से अहमदाबाद के आसपास का क्षेत्र 11वीं शताब्दी से बसा हुआ है, जब इसे अशावल के नाम से जाना जाता था। अन्हिलवाड़ा (आधुनिक पाटन) के चालुक्य शासक कर्ण ने अश्वल के भील राजा के खिलाफ एक सफल युद्ध किया और साबरमती नदी के तट पर कर्णावती नामक शहर की स्थापना की। सुल्तान अहमद शाह ने 1411 में कर्णावती के पास एक नए दीवार वाले शहर की नींव रखी और इसका नाम अहमदाबाद रखा था।

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First published on: 24-03-2023 at 22:29 IST
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