Gujarat Assembly Election 2022: गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Election) की तारीखों के ऐलान के साथ ही तमाम राजनीतिक दलों ने वोटर्स को लुभाने के लिए प्रचार तेज कर दिए हैं। इन सब के बीच सभी पार्टियां मुस्लिम वोटों (Muslim Vote) पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही हैं। मुस्लिम समुदाय गुजरात की कुल आबादी का लगभग नौ प्रतिशत है। इन सबके बीच गुजरात के चुनावी मैदान में एक मजदूर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतरा है। हालांकि, उसे खुद इस बारे में पता नहीं था। किसी ने उसका साइन लिया और पर्चा भर दिया।
वसीम शेख, जो सूरत शहर में एक कपड़ा इकाई में दिहाड़ी मजदूर के रूप में अपना जीवनयापन करते हैं वह भी गुजरात के चुनावी रण में उतरे हैं। कुछ दिनों पहले उनकी मित्र मंडली में कुछ लोगों ने उनसे कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर लिए और उनका पर्चा भर दिया। वसीम का नाम सूरत के लिंबायत निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहे 30 मुस्लिम उम्मीदवारों की सूची में शामिल है। वसीम का कहना है, “मैं तो कटिंग का काम करता हूं इधर, दिहाड़ी है मेरी, किसी ने बताया तो मैंने पर्चा भर दिया।”
लिंबायत में करीब 30 फीसदी मतदाता मुस्लिम समुदाय से: यहां 1 दिसंबर 2022 को गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण में मतदान होगा। लिंबायत विधानसभा सीट नवसारी लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है, जिसका प्रतिनिधित्व गुजरात भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल करते हैं, जहां से कुल 44 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। पहले चरण में राज्य की 89 सीटों में से सबसे ज्यादा कुल 34 निर्दलीय उम्मीदवार शामिल हैं। लिंबायत में करीब 30 फीसदी मतदाता मुस्लिम समुदाय के हैं।
8 निर्दलीय उम्मीदवारों में से सात मुस्लिम चेहरे: वहीं, सूरत पूर्व विधानसभा क्षेत्र में भी 1 दिसंबर को मतदान होना है। यहां एक डिलीवरी बॉय मिन्हाज पटेल भी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। इस क्षेत्र में 8 निर्दलीय उम्मीदवारों में से सात मुस्लिम चेहरे हैं। मिन्हाज पटेल ने कहा, “मैं बिग बास्केट कंपनी के साथ काम करता हूं। मेरा चुनाव लड़ने का मन कर रहा था इसलिए मैंने इस बार नामांकन दाखिल किया।” सूरत पूर्व सीट से कुल 14 उम्मीदवार मैदान में हैं।
भाजपा विभाजित करना चाहती है अल्पसंख्यक वोट: कांग्रेस, जिसने सूरत पूर्व में एक मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में उतारा है, ने आरोप लगाया है कि सत्तारूढ़ भाजपा ने अल्पसंख्यक वोटों को विभाजित करने के लिए दो सीटों पर संदिग्ध निर्दलीय उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।
कांग्रेस के सूरत पूर्व के उम्मीदवार असलम फिरोजभाई ने आरोप लगाया, “सीट के 2.15 लाख मतदाताओं में से 43 प्रतिशत मुस्लिम हैं। सभी जानते हैं कि भाजपा ने इन तथाकथित निर्दलीय उम्मीदवारों को अल्पसंख्यकों से विपक्षी वोटों को विभाजित करने के लिए मैदान में उतारा है। अगर सीआर पाटिल को अपने निर्वाचन क्षेत्र के तहत एक सीट जीतने का इतना ही भरोसा था, तो उन्हें इस तरह के हथकंडे अपनाने की जरूरत क्यों महसूस हुई?”
लिंबायत से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हमीद माधवसंग राणा का कहना है, “मैं एक टूर एंड ट्रैवल एजेंसी के लिए कमीशन एजेंट के रूप में काम करता हूं। मेरी पत्नी सायराबानू जो लिंबायत से भी चुनाव लड़ रही हैं और मैंने कोविड के दौरान विभिन्न तरीकों से लोगों की सेवा की। वह एक गृहिणी है। बीजेपी द्वारा वोट बांटने के लिए हमें फंसाने के कांग्रेस के आरोप झूठे हैं।”