पांच महीने में ही जम्मू-कश्मीर पर केंद्र सरकार का यू-टर्न, वापस लिया आरक्षण विधेयक
विधेयक वापस लेने के संबंध में विरोध जताते हुए तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि सदन की कार्यवाही के नियम 110 के तहत विधेयक वापसी के तीन प्रमुख कारण होते हैं जिनमें नया विधेयक लाना या अन्य कोई विधेयक लाना शामिल हैं।

सरकार ने बुधवार को जम्मू और कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 का और संशोधन करने वाले जम्मू और कश्मीर (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2019 को वापस ले लिया। गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने लोकसभा में विधेयक को वापस लेने की अनुमति मांगी और सदन की सहमति के बाद विधेयक को वापस ले लिया गया। विधेयक वापस लेने के संबंध में विरोध जताते हुए तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि सदन की कार्यवाही के नियम 110 के तहत विधेयक वापसी के तीन प्रमुख कारण होते हैं जिनमें नया विधेयक लाना या अन्य कोई विधेयक लाना शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि यह विधेयक जम्मू कश्मीर के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को आरक्षण देने वाला था। इसमें कुछ गलत नहीं था। सरकार ने इसे वापस लेने का कारण नहीं बताया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि यह विधेयक राज्यसभा द्वारा पारित है और सरकार ने गत छह अगस्त को सदन को अवगत कराया था कि किस कारण से विधेयक वापस लिया जा रहा है।
गौरतलब है कि संसद ने गत छह अगस्त को जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा संबंधी अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने के प्रस्ताव संबंधी संकल्प और जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख में विभाजित करने वाले विधेयक को मंजूरी दी थी।
गृह मंत्री अमित शाह ने तब लोकसभा में जम्मू कश्मीर आरक्षण (दूसरा संशोधन) विधेयक 2019 को वापस लेने की अनुमति मांगी थी। सदन ने इसकी अनुमति दी।
शाह ने कहा था कि अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने के प्रस्ताव संबंधी संकल्प को मंजूरी मिलने के बाद इस विधेयक की जरूरत नहीं होगी। राज्ससभा ने इस संकल्प को पांच अगस्त को पारित किया था। गौरतलब है कि 28 जून को लोकसभा में लंबी चर्चा के बाद जम्मू कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक को मंजूरी दी गई थी। इस विधेयक को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 2004 में संशोधन के लिए लोकसभा में विधेयक पेश किया था। विधेयक के उद्देश्यों के बारे में बताते हुए गृहमंत्री ने कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में रह रहे लोगों की दिक्कतों का जिक्र किया था और कहा था।
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