कृषि कानून पर इतनी जल्दबाजी में क्यों है मोदी सरकार? राहुल गांधी के सवाल पर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री ने किया पलटवार
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि पूरा देश राहुल गांधी और उनकी क्षमताओं को जानता है। किसान उन्हें कृषि कानूनों को फाड़ कर कूड़ेदान में नहीं डालने देंगे। कम से कम इस जन्म में तो नहीं।

मोदी सरकार की तरफ से पारित तीन कृषि कानून को लेकर पंजाब, हरियाणा समेत देश के अन्य हिस्सों में किसानों व विपक्षी दलों का प्रदर्शन जारी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार को पंजाब के संगरूर में किसान बचाओ रैली में हिस्सा लिया।
राहुल ने यहां एक सभा को संबोधित करते हुए भाजपा नीत केंद्र सरकार से सवाल किया कि इस महामारी के समय भी कानून लाने की क्या जल्दी थी। राहुल ने कहा कि उन लोगों को लगता है कि किसान कुछ भी करने में समर्थ नहीं है लेकिन वे किसानों की ताकत को नहीं जानते। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने यहां आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन कृषि कानूनों से ‘किसानों और मजदूरों को वैसे ही खत्म’ कर रहे हैं जैसे उन्होंने नोटबंदी और जीएसटी से छोटे दुकानदारों को ‘बर्बाद’ कर दिया था।
वहीं, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि पूरा देश राहुल गांधी और उनकी क्षमताओं को जानता है। किसान उन्हें कृषि कानूनों को फाड़ कर कूड़ेदान में नहीं डालने देंगे। कम से कम इस जन्म में तो नहीं। उन्होंने कहा कि किसान जानते हैं कि यह अच्छा कानून है। इससे पहले राहुल गांधी ने अनाजों की खरीद और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया और स्वीकार किया कि उनमें कमियां थीं।
उन्होंने कहा, ‘‘इस प्रणाली को मजबूत बनाने की आवश्यकता है और अधिक संख्या में मंडियों को स्थापित करने की आवश्यकता है। एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की गारंटी देने की जरूरत है। किसानों को बुनियादी ढांचा मुहैया कराने की जरूरत है। भंडार गृह स्थापित करने की आवश्यकता है।’’राहुल गांधी ने आरोप लगाया, ‘‘नरेंद्र मोदी ऐसा नहीं कर रहे हैं। मोदी व्यवस्था को मजबूत नहीं कर रहे हैं… अगर मोदी बेहतर पीडीएस देते हैं और एमएसपी की गारंटी देते हैं, ज्यादा मंडियां देते हैं तो अंबानी और अडानी पैसा नहीं बना सकते।’’
कानून में संशोधन होने तक जारी रहेगी लड़ाईः पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि जब तक न्यूनतम समर्थन मूल्य पर एक लिखित संवैधानिक गारंटी देने के लिए नये कृषि कानूनों को संशोधित नहीं किया जाता है, तब तक वे इन कानूनों के खिलाफ लड़ाई से पीछे नहीं हटेंगे। सिंह ने कहा कि उनकी सरकार ‘‘किसान विरोधी’’ कानूनों के खिलाफ आवश्यक कदम उठाएगी। वहीं इस मुद्दे पर शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के ‘दोहरे मापदंड़ों’ को उजागर करेगी।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी इन तीन कानूनों के खिलाफ राज्य में चार से छह अक्टूबर तक ट्रैक्टर रैलियां आयोजित कर रही है। इन विधेयकों को पिछले महीने संसद ने पारित किया था और राष्ट्रपति ने भी इन कानूनों को अपनी मंजूरी दे दी है।
विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने पर विचारः दूसरी तरफ नये कृषि कानूनों को निष्प्रभावी करने के लिये कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के प्रस्ताव करने के कुछ ही दिन बाद पार्टी शासित राज्य इस उद्देश्य के लिये विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने पर विचार कर रहे हैं। अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की कानूनी टीम ने पिछले हफ्ते इस संबंध में एक कानून का मसौदा तैयार किया था।
पार्टी के एक सूत्र ने कहा कि कांग्रेस शासित राज्य, केंद्र के (नये) कृषि कानूनों को निष्प्रभावी करने के लिये जल्द ही विधानसभा का सत्र बुलाएंगे। कांग्रेस शासित राज्यों, पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पुडुचेरी के मुख्यमंत्री पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि वे अपने-अपने राज्यों में केंद्र के नये कृषि कानूनों को लागू नहीं करेंगे। उन्होंने यह भी कहा है कि वे इन कानूनों को निष्प्रभावी करने के लिये अपनी राज्य विधानसभाओं में एक नया विधेयक लाएंगे।
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