कोरोना संकट और लॉकडाउन के बीच देशभर में आज (25 मई, 2020) ईद-उल-फितर मन रही है। हालांकि, इस बार वैश्विक महामारी की वजह से त्योहार की रौनक फीकी नजर आई। हालांकि, ईद को लेकर लोगों में खासा उत्साह है, मगर लॉकडाउन के चलते ईद पर पहले जैसी चकाचौंध देखने को नहीं मिली। लॉकडाउन की वजह से सभी लोगों से अपने-अपने घरों में ही ईद मनाने की अपील की गई है।
इससे पहले रविवार रात चांद दिखा था, जिस पर विभिन्न मुस्लिम संगठनों ने चांद नजर आने की तस्दीक की थी। वहीं, रविवार को जम्मू कश्मीर और केरल में ईद मनी, जबकि देश के बाकी हिस्सों में यह आज है। बता दें कि रमजान के पवित्र महीने के खत्म होने पर इस त्योहार को मनाया जाता है।
दरअसल, शनिवार को भारत में चांद नहीं देखा गया था, जिसके बाद जामा मस्जिद के इमाम साहब ने ऐलान किया था कि देशभर में 25 मई यानी सोमवार को ईद मनाई जाएगी। गौतरतलब है कि कोरोना वायरस के चलते धार्मिक स्थल बंद हैं। ऐसे में जामा मस्जिद और फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमामों ने लोगों को घरों में ही रहने और वहीं पर ईद की नमाज पढ़ने की सलाह दी गई है।
पिछले साल कश्मीर में ईद-उल-अजहा की नमाज नहीं पढ़ी गई थी क्योंकि अधिकारियों ने जम्मू कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने और अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने के मद्देनजर सख्त कर्फ्यू लागू किया था।
इंडोनेशिया में लाखों मुस्लिमों के लिए ईद-उल-फितर की छुट्टियां इस बार उदासी से भरी हुई हैं। रोजे रखने के पाक महीने रमजान के अंत में आमतौर पर तीन दिन तक बड़े उत्साह से जश्न मनाया जाता है लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ने के बाद यह उत्साह इस बार ठंडा पड़ गया है। विश्व के सबसे बड़े मुस्लिम बहुल देश में संक्रमण के करीब 22,000 मामले सामने आए हैं और 1,350 लोगों की मौत हुई है जो दक्षिणपूर्व एशिया में सबसे अधिक है। इसे देखते हुए मस्जिदों या खुले मैदानों में इस बार एकजुट होकर न नमाज पढ़ी जा सकेगी, न परिवारों का मिलना-जुलना होगा और न रिश्तेदार इस बार बच्चों को ईदी (तोहफे) दे पाएंगे।
कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के कारण कश्मीर में रविवार को ईद-उल-फितर का जश्न फीका रहा और ज्यादातर लोगों ने रमजान के पवित्र माह की समाप्ति पर घर पर ही नमाज अदा की। जम्मू कश्मीर और केरल में ईद रविवार को मनाई जा रही है जबकि देश के बाकी हिस्सों में इसे सोमवार को मनाया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि कश्मीर की प्रमुख मस्जिदों में लगातार दूसरी बार ईद की कोई नमाज नहीं पढ़ी गई क्योंकि पुलिस ने श्रीनगर शहर समेत घाटी के ज्यादातर हिस्सों में सख्त पाबंदियां लगा रखी है।
देश में कोविड-19 के प्रसार का बड़ा केंद्र बने इंदौर जिले में पिछले दो महीने से लागू लॉकडाउन के चलते पूरे रमजान महीने में बाजार वीरान रहे। अब सोमवार को मनायी जाने वाली ईद-उल-फितर का उल्लास भी घरों में सिमट गया है। जिलाधिकारी मनीष सिंह ने ईद की पूर्व संध्या पर रविवार को संवाददाताओं से कहा, “लॉकडाउन के चलते ईद पर भी लोगों को घरों से बाहर निकलने की छूट नहीं दी गयी है। इसके पीछे हमारा एकमात्र मकसद यही है कि सभी नागरिक इस महामारी के संक्रमण से सुरक्षित रहें।”
दुनियाभर में लाखों मुसलमानों ने कोरोना वायरस के मद्देनजर घरों में सिमटे रहने के सख्त आदेशों और इसकी चपेट में आने के डर के बीच रमजान के पवित्र माह की समाप्ति पर ईद-उल-फितर का जश्न मनाया। ईद के मद्देनजर तीन दिन की छुट्टियां अक्सर घूमने, रिश्तेदारों से मिलने और खरीददारी करने का समय होता है लेकिन इस साल कई लोगों ने कोरोना वायरस संकट के चलते परिवार के करीबी सदस्यों के साथ इसे घर में ही मनाया।
इस बार की ईद कुछ अलग होगी क्योंकि कोरोना वायरस महामारी के चलते लॉकडाउन लागू है । ईद की पूर्व संध्या पर गुलजार रहने वाली अमीनाबाद, नजीराबाद, फतेहगंज, लाटूश रोड और कैसरबाग की सड़कों पर रविवार को सन्नाटा पसरा रहा । मुस्लिम धर्मगुरूओं ने अपील की है कि लोग ईद घर पर ही रहकर मनायें । अमीनाबाद रोड पर एक ओर सूखे मेवों की तो दूसरी तरफ हाथ से बने पापड़ की दुकानें हैं । रविवार को दुकानें बंद थीं क्योंकि प्रशासन ने महामारी के चलते समूचे इलाके को बंद रखने का आदेश दिया है । नजीराबाद कपड़ों का बड़ा बाजार है और ईद के मौके पर यहां अच्छी खासी रौनक होती थी लेकिन लॉकडाउन के कारण यहां भी दुकानों के शटर बंद हैं ।
दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के जाकिर नगर में एक गैर-सरकारी संगठन चलाने वालीं शमा खान हर साल ईद पर गहने, कपड़े, बहुत सारी मिठाइयां खरीदती थीं और रिश्तेदारों को दावत देती थीं, लेकिन इस बार वह ऐसा नहीं कर रहीं। खान (30) कहती हैं, ”यह आम दिनों की तरह नहीं हैं। हमारे घर पर और रिश्तेदारों में किसी ने भी गहने, कपड़े या मिठाइयां नहीं खरीदीं। हर साल हमारा परिवार दावत किया करता था, लेकिन इस बार हम ऐसा नहीं करेंगे। जब करोड़ों लोग भूखे पेट सो रहे हों, तो हम ऐसा कैसे कर सकते हैं।” खान की ही तरह राष्ट्रीय राजधानी में रहने वाले कई मुसलमान ईद-उल-फितर पर नए सामान और कपड़े खरीदने से परहेज कर रहे हैं। उन्होंने पैसा बचाकर उसे कोविड-19 लॉकडाउन से प्रभावित जरूरतमंद लोगों और प्रवासियों की मदद के लिये खर्च करने का फैसला लिया है।
दिल्ली में कोरोना वायरस के मामलों में बढ़ोतरी के चलते लोग अपने घरों में हैं और भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचकर सामाजिक दूरी को प्राथमिकता दे रहे हैं। बाजार मटिया महल ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अकरम कुरैशी ने कहा, ”मेन बाजार, जहां आम दिनों में आना-जाना भी मुश्किल हो जाता था, वे ईद के मौके पर भी सूने पड़े हैं। पूरे देश में सामान की आपूर्ति का चक्र बाधित है, लिहाजा दुकानें भी नहीं खुल रही हैं। साथ ही लोगों के पास खर्च करने के लिये पैसे भी नहीं हैं। ”
कोरोना वायरस लॉकडाउन के चलते इस बार ईद की पूर्व संध्या पर लोग अपने घरों में रहने को प्राथमिकता दे रहे हैं, लिहाजा रविवार को बाजारों में रौनक गायब रही और दुकानों में भी कम लोग दिखे। रमजान का महीना खत्म होने पर आने वाली ईद-उल-फितर, सोमवार को देशभर में मनाई जाएगी। पुरानी दिल्ली के इलाके जो हर बार रमजान में खरीदारी करने वालों से गुलजार रहते थे, इस बार सूने पड़े हैं।