Tamil Nadu: तमिलनाडु के पुलिस महानिदेशक (Tamil Nadu DGP) सी सिलेंद्र बाबू (C Sylendra Babu) ने पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे पॉक्सो अधिनियम (POCSO Act) के तहत दर्ज मामलों में युवकों को गिरफ्तार करने में जल्दबाजी न करें। डीजीपी ने एक सर्कुलर जारी कर कहा कि ऐसे मामलों में अक्सर रजामंदी या प्रेम के मामले शामिल होते हैं, इसलिए इस तरह के मामलों में पोक्सो के आरोपियों की गिरफ्तारी में जल्दबाजी ना करें।
जुवेनाइल जस्टिस कमिटी, मद्रास उच्च न्यायालय की POCSO समिति और तमिलनाडु एवं पुडुचेरी के अन्य हितधारकों की राज्य स्तरीय मीटिंग के दौरान यह फैसला लिया गया है। इस बैठक में POCSO अधिनियम के कार्यान्वयन को लेकर चर्चा की गई।
डीजीपी ने जारी किया सर्कुलर
सर्कुलर में डीजीपी ने पुलिस अधिकारियों को रजामंदी या प्रेम के मामलों में पोक्सो के आरोपियों की गिरफ्तारी में जल्दबाजी न करने के लिए कहा है। सर्कुलर में यह भी कहा गया कि गिरफ्तारी में जल्दबादी के बजाय, जांच के लिए संबंधित व्यक्ति को सीआरपीसी की धारा 41-4 के तहत नोटिस जारी करने के लिए कहा गया है। इसके अलावा, अधिकारियों को आरोपियों को गिरफ्तार नहीं करने का कारण भी देना होगा। डीजीपी ने कहा, “पुलिस अधीक्षक/पुलिस उपायुक्त की अनुमति से ही गिरफ्तारी का सहारा लें।”
पोक्सो के मामलों में 60 फीसदी केस रजामंदी या प्रेम के मामले
समिति ने कहा कि POCSO के तहत जो मामले दर्ज किए गए हैं, उनमें से तकरीबन 60 फीसदी रजामंदी के प्रेम संबंधों से संबंधित हैं। ऐसे में 18 साल से कम उम्र की आयु की लड़की से प्यार करने के लिए पुरुष को अपराधी माना जाता है और उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है। POCSO अधिनियम के कड़े प्रावधानों के मद्देनजर … पहाड़ी क्षेत्रों में आदिवासी समुदायों के युवाओं के मामलों में ऐसा अधिक होता है।
बैठक में कहा गया कि आदिवासी संस्कृतियों में 18 साल से कम उम्र की लड़की से शादी करना पुरुष के लिए वर्जित नहीं है। जब एक महिला सरकारी अस्पताल में बच्चे की डिलीवरी के लिए जाती है, तो पुलिस को सूचित किया जाता है, POCSO का मामला दर्ज किया जाता है और पुरुष को गिरफ्तार कर लिया जाता है। समिति ने दावा किया कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो महिलाएं प्रसव के लिए अस्पताल नहीं जाएंगी और आदिवासी दाइयों की सेवाएं लेंगी। समिति ने कहा, “आदिवासी समाज से और अधिक अलग हो जाएंगे जो राज्य के लिए अनुकूल नहीं है।”