Satyendar Jain: मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तिहाड़ जेल (Tihar Jail) में बंद दिल्ली सरकार में मंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता सत्येंद्र जैन (Satyendar Jain) के प्रवर्तन निदेशालय (ED) के निशाने पर आने के पीछे ‘अघोषित आय’ है। इस आय का खुलासा उनके ही सहयोगियों द्वारा छह साल पहले 2016 में टैक्स अधिकारियों को किया गया था। इस बात की जानकारी खुद ED ने अपनी अभियोजन शिकायत (Prosecution Complaint) में दी है।
ED ने अपनी चार्जशीट में दी जानकारी
यह जानकारी जून 2018 में जैन द्वारा कर अधिकारियों को लिखे गए एक पत्र के साथ प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी चार्जशीट में दी। इनकम डिक्लेरेशन स्कीम (IDS) 2016 के तहत टैक्स डिपार्टमेंट को यह जानकारी मुहैया कराई गई थी और माना जा रहा था कि जैन और उनके सहयोगियों को टैक्स के रूप में एक निश्चित राशि का भुगतान करने के बाद अभियोजन से छूट मिल जाएगी।
हालांकि, I-T अधिकारियों ने इस बात को खारिज कर दिया कि फ़ैक्ट्स को दबाया गया है। ईडी ने जैन के खिलाफ अपनी चार्जशीट में सबूत के रूप में इसका इस्तेमाल किया। ईडी की चार्जशीट के अनुसार, आयकर विभाग ने 2016 में जैन द्वारा नियंत्रित तीन कंपनियों – अकिंचन डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड (ADPL), इंडो मेटालिम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड (IMPL) और प्रयास इंफोसोल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड (PIPL) को टैक्स चोरी के लिए नोटिस दिया था।
IDS देता है 45% टैक्स भुगतान करने का मौका
इसके बाद सितंबर 2016 में, वैभव जैन और अंकुश जैन (जो उनकी कंपनियों में शेयरधारक भी थे) ने कंपनियों में कोलकाता स्थित शेल कंपनियों से प्राप्त पूरी राशि का खुलासा किया। यह जैन द्वारा इनकम डिस्क्लोसर के तहत उनकी अघोषित आय के रूप में बताई गयी है। गौरतलब है कि IDS अघोषित आय वाले किसी भी व्यक्ति को ऐसी आय का खुलासा करने और दंड और जुर्माना से बचने के लिए 45 प्रतिशत कर का भुगतान करने का अवसर देता है।
हालांकि, वैभव जैन और अंकुश जैन द्वारा की गई घोषणा को तथ्यों को गलत तरीके से पेश करने और दबाने के लिए I-T विभाग द्वारा खारिज कर दिया गया था। ईडी की चार्जशीट के अनुसार, दोनों को आईडीएस 2016 के तहत अघोषित आय के विवरण का उल्लेख करना था। ईडी ने दावा किया कि आय के विवरण के कॉलम में वैभव और अंकुश ने कोई जानकारी देने के बजाय केवल कई नाम लिखा था। चार्जशीट में आयकर अधिकारियों ने कहा है कि यह घोषणाकर्ताओं द्वारा जानकारी को छुपाने के बराबर है इसलिए घोषणा को अमान्य ठहराया गया है।
Satyendar Jain ने आयकर विभाग को लिखा था पत्र
ईडी ने सत्येंद्र जैन द्वारा 28 जून, 2018 को आयकर विभाग को भेजे गए एक पत्र का हवाला दिया। जहां उन्होंने वैभव और अंकुश द्वारा जमा किए गए कर का उल्लेख किया है। 7 जून, 2018 को I-T विभाग द्वारा सत्येंद्र जैन से की गई 7 करोड़ रुपये की कर मांग के बाद, जैन ने विभाग को लिखा कि 3.71 करोड़ रुपये यानी उनसे की गई मांग के 50 प्रतिशत से अधिक का भुगतान पहले ही किया जा चुका है। उन्होंने विभाग से कहा कि आईडीएस 2016 के तहत वैभव और अंकुश द्वारा विभाग को कर के रूप में इसलिए विभाग को उससे और करों की मांग नहीं करनी चाहिए।
वैभव ने सारा दोष Satyendar Jain पर मढ़ दिया था
ईडी ने अपनी चार्जशीट में आरोप लगाया है कि सत्येंद्र जैन ने जानबूझकर मनी लॉन्ड्रिंग के क्लासिक तरीके का इस्तेमाल किया। ईडी ने दावा किया कि इसकी जांच में पाया गया कि जब वैभव और अंकुश ने घोषणा की, तो वे कंपनियों में निदेशक नहीं थे और बाद में ही जुड़े। जून 2022 में गिरफ्तारी से पहले ईडी को दिए अपने आखिरी बयान में वैभव ने सारा दोष आप नेता सत्येंद्र जैन पर मढ़ दिया था। उन्होंने ईडी से कहा, “यह दावा करने के बाद कि उनकी अंतरात्मा आखिरकार जाग गई थी और इसलिए वह सच्चाई का खुलासा कर रहे हैं। उनका और उनके परिवार का जैन से जुड़ी कंपनियों में आए 16 करोड़ रुपये से कोई लेना-देना नहीं था और यह मंत्री का पैसा था।