scorecardresearch

Delhi Mayor Elections: बार-बार क्यों टल रहे मेयर चुनाव? जानिए क्या है हंगामे की असल वजह

MCD Mayor Polls, Delhi Nagar Nigam (MCD) Mayor Chunav News: मेयर पद के लिए आम आदमी पार्टी की शैली ओबरॉय और भाजपा की रेखा गुप्ता आमने-सामने हैं।

delhi mayor election | mcd mayor election | delhi mcd mayor election news
Delhi Mayor Elections तीन बार टल चुके हैं। इस पद पर आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच मुकाबला है (PTI Image)

Delhi MCD Mayor Chunav: दिल्ली में मेयर चुनाव लगातार तीसरी बार टल गए हैं। राजधानी नई दिल्ली में एमसीडी चुनाव परिणाम आए दो महीनों का समय बीत चुका है। नगर निगम चुनाव परिणाम में आम आदमी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी बावजूद इसके नगर निगम में मेयर चुनाव नहीं हो पा रहे हैं। दरअसल दिल्ली नगर निगम में सारा हंगामा मनोनीत पार्षदों को वोटिंग करने देने पर हो रहा है।

MCD Mayor Elections के लिए एलजी ने बीजेपी की सत्या शर्मा को पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया है। उन्होंने सोमवार को कहा कि मनोनीत सदस्यों को हाउस में मेयर, डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमेटी सदस्यों के चुनाव में वोटिंग करेंगे। उन्होंने यह भी प्रस्तावित किया कि तीनों चुनावों के लिए मतदान एक साथ होना चाहिए।

आम आदमी पार्टी लगातार मनोनीत पार्षदों को शपथ दिलाए जाने को लेकर सवाल उठा रही थी। उसका आरोप था कि भाजपा इनसे मेयर चुनाव में वोट डलवाएगी, जिसका ऐलान अब पीठासीन अधिकारी ने भी कर दिया है।

आम आदमी पार्टी का कहना है कि नगर निगम एक्ट 1957 मनोनीत पार्षदों को वोट डालने का अधिकार नहीं देता जबकि पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा ने दावा किया कि मई 2022 में अधिसूचित डीएमसी एक्ट ने संशोधन ने मनोनीत पार्षदों को वोट देने का अधिकार दिया। इस संशोधन ने MCD में वार्डों की संख्या 272 से घटाकर 250 कर दी और एक्ट में “सरकार” शब्द को “केंद्र सरकार” से बदल दिया। लेकिन इसने मनोनीत सदस्यों की मतदान शक्तियों में बदलाव नहीं किया।

संविधान का अनुच्छेद 243R “नगर पालिकाओं की संरचना” के बारे में बताता है। यह कहता है कि नगरपालिका प्रशासन में विशेष ज्ञान या अनुभव रखने वाले व्यक्ति (मनोनीत) को बैठकों में मतदान करने का अधिकार नहीं होगा।

फिर कहां फंसा पेंच?

2015 तक एमसीडी में मनोनीत पार्षदों को मतदान का अधिकार नहीं था। तब कांग्रेस की मनोनीत पार्षद ओनीका महरोत्रा द्वारा चैलेंज किए जाने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि “याचिकाकर्ता वार्ड समितियों के घटक सदस्य होने के नाते, संबंधित वार्ड समिति की किसी भी बैठक में भाग ले सकते हैं और मतदान कर सकते हैं”।

हालांकि इस फैसले में यह भी कहा गया कि वे अपना नामांकन दाखिल नहीं कर सकते हैं या वार्ड समिति के अध्यक्ष के रूप में चुने जाने के लिए अपनी उम्मीदवारी की पेशकश नहीं कर सकते हैं। याचिकाकर्ता स्थायी समिति के सदस्य के रूप में चुने जाने के लिए अपनी उम्मीदवारी का प्रस्ताव भी दे सकते हैं। किसी भी याचिकाकर्ता के स्थायी समिति के सदस्य के रूप में चुने जाने की स्थिति में, वे स्थायी समिति की किसी भी बैठक में मतदान कर सकते हैं और स्थायी समिति के उपाध्यक्ष के रूप में चुने जाने के लिए अपनी उम्मीदवारी की पेशकश भी कर सकते हैं; लेकिन, वे स्थायी समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त होने के लिए अपनी उम्मीदवारी की पेशकश नहीं कर सकते।

पढें राज्य (Rajya News) खबरें, ताजा हिंदी समाचार (Latest Hindi News)के लिए डाउनलोड करें Hindi News App.

First published on: 07-02-2023 at 09:52 IST
अपडेट