मार्च के महीने में दिल्ली पुलिस ने एक दर्दनाक घटना की जानकारी साझा करते हुए बताया था कि दक्षिण पश्चिम दिल्ली के वसंत कुंज इलाके में आवारा कुत्तों ने सात और पांच साल की उम्र के दो मासूम बच्चों की जान ले ली थी। यह घटना एक साथ नहीं बल्कि दो दिन के अंतराल में हुई थी। जब आनंद (7) और आदित्य (5) को दो दिनों के भीतर उनके घर के पास एक ही स्थान पर आवारा कुत्तों के झुंड ने मार डाला था।
अब इन बच्चों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आ गयी है। जिससे पता चलता है कि बच्चों की मौत कुत्ते के काटने से ही हुई थी। बच्चों की मौतों के बाद पुलिस ने रुचि विहार में कुत्तों के खतरे के बारे में एमसीडी को एक पत्र लिखा था जिसके बाद क्षेत्र से 40 से अधिक कुत्तों को उठाया गया था।
क्या था पूरा मामला?
आनंद (7) 10 मार्च को अपने घर से लापता हो गया था। वह अपनी मौसी से मिलने जा रहा था जो उसी इलाके में रहती है। जब वह देर तक घर नहीं लौटा तो परिवार ने तलाश शुरू की और पुलिस और परिवार को बाद में एक खाली प्लॉट के अंदर एक दीवार के पास उसका शव मिला। मामले की प्राथमिकी में कहा गया है कि जहां से खून से सने कपड़े और लड़के के जूते बरामद हुए हैं, उस जगह पर कुछ आवारा कुत्ते थे। जिसके बाद वसंत कुंज साउथ थाने में हत्या की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर शव को पोस्टमार्टम के लिए सफदरजंग अस्पताल भेज दिया गया।
एक अन्य पुलिस अधिकारी के मुताबिक बच्चे के शरीर पर चोटें जानवरों के काटने जैसी लग रही थीं। जब हमने पड़ोसियों और स्थानीय लोगों से पूछताछ की तो पता चला कि जंगल क्षेत्र के अंदर कई आवारा कुत्ते रहते हैं जो अक्सर बकरियों और सूअरों पर हमला करते हैं। एफएसएल टीम और क्राइम टीम ने घटनास्थल का निरीक्षण किया है।
पुलिस के मुताबिक दूसरी घटना रविवार (12 मार्च) की थी, रविवार की सुबह करीब 8 बजे आनंद का छोटा भाई आदित्य (5) अपने मौसेरे भाई चंदन के साथ उसी जंगल क्षेत्र में पेशाब करने गया था। इस ही दौरान वह आवारा कुत्तों से घिर गया और कुत्तों ने उसकी जान ले ली थी।
अब सामने आई पोस्टमार्टम रिपोर्ट
दोनों बच्चों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक की उनके सिर, गर्दन, पीठ, अंगों और पेट पर कई, गंभीर चोटों का खुलासा हुआ है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक इन्हीं गंभीर चोटों और सदमें के कारण बच्चों कि मौत हुई है। तीन डॉक्टरों के एक मेडिकल बोर्ड ने सफदरजंग अस्पताल में पोस्टमार्टम किया था।
इस बीच लड़कों के परिवार के सदस्यों ने कहा कि वे क्षेत्र से बाहर जाना चाहते हैं क्योंकि स्ट्रीट डॉग्स को वहां फिर से छोड़ दिया गया है। उनकी मां, सुषमा (30), अपने तीन बच्चों के साथ एक नया जीवन शुरू करने के लिए पिछले साल दिल्ली आई थीं। उन्होने कहा कि उनका पति मानसिक रूप से विक्षिप्त था और इलाहाबाद में अपने परिवार के साथ रहता था। वह कहती हैं “मैं हर समय अपने बेटों के बारे में सोचती हूं। मैं हर चीज के लिए खुद को दोषी मानती हूं। मैं चाहती थी कि वे पढ़ें और मेरी तरह संघर्ष न करें। जब मैंने उनके शव देखे तो मैं दंग रह गयी। वे मासूम बच्चे थे जिन्हें कुत्तों ने मार डाला था…मैं यहां नहीं रहना चाहती ।