करीब 1500 दलित परिवारों वाले इस इलाके में बसे पीड़ितों का कहना है कि उन्होंने प्रशासन से कई बार श्मशान तक शव ले जाने के लिए अलग रास्ता देने की मांग की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। उनका आरोप है कि सवर्ण जातियों के लोग उन्हें आम रास्ते से नहीं जाने देते। गांव के रहने वाले एक शख्स ने मीडिया को बताया, ‘बारिश के दौरान स्थिति और खराब हो जाती है। दलित समुदाय को आवंटित जगह पर पानी और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं हैं।’
‘पांच गुना लंबा रास्ता तय करना पड़ता है’: एक अन्य ग्रामीण ने कहा, ‘आम रास्ता आधा किमी का ही है, लेकिन भेदभाव के चलते हमें करीब ढाई किमी चलकर अंतिम संस्कार के लिए जाना पड़ता है। हमारी मांग है कि हमें श्मशान तक जाने के लिए रास्ता और वहां पर पानी-बिजली जैसी सुविधाएं दी जाए।’
Hindi News Today, 02 November 2019 LIVE Updates: देश-दुनिया की अहम खबरों के लिए क्लिक करें
पहले भी सामने आया था ऐसा ही मामलाः गौरतलब है कि इसी साल अगस्त में तमिलनाडु में ही अंतिम संस्कार के दौरान जातिगत भेदभाव का ऐसा ही मामला सामने आया था। उस दौरान दबंगों ने एक दलित शख्स की अंतिम यात्रा खेतों से निकालने के लिए मजबूर किया था। इसके बाद उसके समुदाय के लोगों से 20 फीट ऊंचे पुल से शव फेंकने को भी मजबूर किया गया।