Written by Atri Mitra
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) को लेकर टीएमसी (TMC) एक मंत्री द्वारा बिना सोचे समझे की गयी एक टिप्पणी पश्चिम बंगाल (West Bengal) में पर्याप्त आदिवासी आबादी को भाजपा (BJP) की ओर बढ़ने से रोकने के लिए तृणमूल कांग्रेस की कोशिशों के सामने एक खतरे की तरह दिख रही है। मुर्मू देश के सर्वोच्च पद पर काबिज होने वाली पहली आदिवासी (Tribal) नेता हैं। पूर्वी मिदनापुर के नेता और टीएमसी मंत्री अखिल गिरि (Akhil Giri) ने उनके लुक पर टिप्पणी करने के लिए माफी मांगी है। हालांकि भाजपा इस मुद्दे को यहीं खत्म नहीं होने देना चाहती और रविवार को राज्य भर में आदिवासी संगठनों के साथ मिलकर मंत्री के इस्तीफे की मांग को लेकर पार्टी ने विरोध प्रदर्शन भी किया है।
लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिला था आदिवासियों का समर्थन
माना जाता है कि बंगाल की कुल जनसंख्या में 7-8 फीसदी आदिवासियों का है । जंगलमहल क्षेत्र के चार संसदीय क्षेत्रों में, जिसमें बांकुरा, पुरुलिया, झारग्राम और पश्चिम मिदनापुर जिले शामिल हैं और आठ निर्वाचन क्षेत्र उत्तर बंगाल के जिलों में फैले हुए हैं, जैसे दार्जिलिंग, कलिम्पोंग, अलीपुरद्वार, जलपाईगुड़ी, कूचबिहार, उत्तर और दक्षिण दिनाजपीर और मालदा, आदिवासी क्षेत्र हैं।
2019 के लोकसभा चुनावों में जब बीजेपी ने 18 सीटें जीतकर टीएमसी को चौंका दिया था उस वक़्त बीजेपी को आदिवासी इलाकों में अच्छा समर्थन मिला था। भाजपा ने जंगलमहल की सभी सीटों और उत्तर बंगाल की छह सीटों पर जीत हासिल की थी।
दोनों पार्टियां समझती है आदिवासी वोट का महत्व
टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी मुर्मू को राष्ट्रपति के रूप में नामित करने में मोदी सरकार के कदम को अच्छे से समझती हैं। राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू के नाम की घोषणा के बाद ममता बनर्जी ने कहा था कि अगर भाजपा ने विपक्षी दलों से सलाह ली होती, तो मुर्मू “सहमति की उम्मीदवार” हो सकती थी। इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी आदिवासी वोट को लुभाने के लिए अलग-अलग तरह के बयान देते रहे हैं।
ममता बनर्जी अखिल गिरि को कब निकालेंगी ? देखें Video
शुक्रवार को विवाद शुरू होने के तुरंत बाद टीएमसी ने गिरि की टिप्पणी से खुद को दूर कर लिया था। पार्टी ने कहा कि गिरि ने जो कहा वह “गैर-जिम्मेदार” था और पार्टी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करता था। टीएमसी के प्रवक्ता साकेत गोखले ने ट्वीट किया था “हमें भारत के राष्ट्रपति पर बेहद गर्व है और हम उन्हें और उनके पद को सर्वोच्च सम्मान देते हैं।” टीएमसी के कई नेताओं ने भी अपने ही मंत्री की आलोचना की है।