भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस अपनाएगी शीला-माकन फार्मूला, भितरघातियों से बढ़ाएगी मेल-जोल
राजस्थान के हालिया संपन्न उपचुनाव में कांग्रेस ने लोकसभा की दो व विधानसभा की एक सीट के लिए हुए चुनाव में भाजपा को करारी शिकस्त दी है।

अपने नेताओं की गुटबाजी से त्रस्त कांग्रेस, शीला-माकन एका के फार्मूले को पूरे देश में आजमाना चाहती है। मिशन 2019 की तैयारी में जुटी पार्टी अपने कद्दावर क्षत्रपों के बीच की तकरार से हर हालत में उबरना चाहती है। इस फार्मूले की झलक चुनाव के लिए तैयार राजस्थान और कर्नाटक सहित अन्य प्रांतों में भी देखने को मिल सकती है। हरियाणा की सिरफुटौव्वल को खत्म करने के लिए दिल्ली की तर्ज पर ही नेताओं की ओर से पहल होगी। दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुआई वाली आम आदमी पार्टी (आप) के हाथों सत्ता गंवा चुकी कांग्रेस ने राजधानी में अपने वोट प्रतिशत में तो इजाफा कर लिया लेकिन वह अब भी अपने से छिटके वोट बैंक को पूरी तरह अपनी ओर नहीं खींच पाई है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने खुद ही माना है कि यदि बीते नगर निगम चुनाव में उन्होंने एकजुटता की पहल की होती और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित भी उनके साथ होतीं तो शायद कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन करती। दिल्ली की सियासत में एकदूसरे के कट्टर विरोधी माने जाने वाले दीक्षित व माकन ने एक मंच पर आकर सूबे में कांग्रेस को मजबूत करने का ऐलान किया है। पार्टी रणनीतिकार मान रहे हैं कि सियासी गलियारों में इस एकजुटता को लेकर अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है और कांग्रेस के पारंपरिक वोटरों के बीच भी यह एकजुटता अच्छा संदेश देगी।
कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि राजस्थान के हालिया संपन्न उपचुनाव में कांग्रेस ने लोकसभा की दो व विधानसभा की एक सीट के लिए हुए चुनाव में भाजपा को करारी शिकस्त दी है। जाहिर है कि वहां पार्टी मजबूत स्थिति में है। लेकिन यह भी सच है कि वहां भी पूर्व मुख्यमंत्री अशांक गहलोत व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट के बीच आंकड़ा छत्तीस का है। ऐसे में यदि दोनों एक मंच पर आकर एकजुटता दिखाते हैं तो इसका कांग्रेसी मतदाताओं के बीच अच्छा संदेश जाएगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस हरियाणा में भी लगातार मजबूत हो रही है। पार्टी वहां पर मनोहरलाल खट्टर सरकार के खिलाफ जनता में बढ़ रही नाराजगी को अपने हक में भुना सकती है लेकिन वहां भी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशांक तंवर के बीच तलवारें खिंची हुई हैं। इन दोनों नेताओं के बीच सियासी तल्खी बहुत ज्यादा है। ऐसे में यदि सूबे में ये दोनों उगुट व अन्य नेता साथ आते हैं तो कांग्रेस जाहिर तौर पर मजबूत होगी।
शीला-माकन फार्मूले को लेकर पूछने पर कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सूरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस दिल्ली या हरियाणा में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में एकजुट होकर भाजपा का मुकाबला करेगी। उन्होंने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं कि यदि हम एकसाथ और पूरी ताकत से लड़ेंगे तो जनता का भी हमें भरपूर सहयोग मिलेगा और कांग्रेस आने वाले विधानसभा व लोकसभा के चुनाव में भाजपा को शिकस्त देने में कामयाब होगी।
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