जेटली ने नेतृत्व की समस्या को कांग्रेस का प्रमुख संकट बताया
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर परोक्ष हमला करते हुए कहा है कि अपने नेतृत्व की समस्याओं के चलते कांग्रेस उतार पर है और उसकी तुलना पुरानी पड़ चुकी कार के निर्माता से की जो एकाधिकार के कारण अतीत में टिक पा रहा था, लेकिन अब नहीं है। जेटली ने एक विशेष […]

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर परोक्ष हमला करते हुए कहा है कि अपने नेतृत्व की समस्याओं के चलते कांग्रेस उतार पर है और उसकी तुलना पुरानी पड़ चुकी कार के निर्माता से की जो एकाधिकार के कारण अतीत में टिक पा रहा था, लेकिन अब नहीं है। जेटली ने एक विशेष भेंट में कहा,‘अगर आप राज्यों को देखें तो एक एक कर के कांग्रेस पार्टी अपने ढेर सारे नेता खो रही है। मैं इसके लिए दो खास कारण देखता हूं। छह दशक तक भारत की राजनीति पर दबदबा रखने और तकरीबन 50 साल तक सत्ता में रहने वाली एक पार्टी सहसा ऐसा रुख अपनाने लगी है, जिसे मुख्यधारा की पार्टियों को नहीं अपनाना चाहिए। उनकी सफलता अब इससे मापी जाने लगी है कि वे कितना व्यवधान डाल सकते हैं।’
वित्तमंत्री ने कहा,‘दूसरा, नेतृत्व की ऐसी खामियां साफ उजागर हो रही हैं जो मेधा आधारित नहीं हैं और उसके ढेर सारे बड़े नेताओं को एक मुख्य शिकायत यह है कि वे केंद्रीय नीति निर्माताओं से संवाद करने में खुद को असमर्थ पा रहे हैं।’ जेटली ने रेखांकित किया कि अब भी ढेर सारी पार्टियां हैं जो परिवार के गिर्द भीड़ पर आश्रित होती है और इन पार्टियों की मजबूती उन्हें एक साथ बनाए रखने की वर्तमान पीढ़ी की क्षमता पर निर्भर करेगी। उन्होंने कहा,‘और मुझे लगता है कि कांग्रेस यह खो रही है।’
उन्होंने केरल, असम, अरुणाचल और उत्तराखंड जैसे अनेक राज्यों में कांग्रेस के दरपेश समस्याओं को गिनाते हुए कहा कि कांग्रेस के जनाधार में कमी पंजाब में भी हो रही है, जहां अगले साल चुनाव होने वाले हैं। जेटली ने कहा,‘अगर आप 1991 के पहले के सभी बड़े कारोबारी घरानों या 20 बड़े कारोबारी घरानों की कोई सूची बनाएं और उसकी तुलना 2016 के शीर्ष 20 से करें, तो सूची के कितने समान होंगे। 1991 के पहले वाली कंपनियां परिवार के स्वामित्व वाली कंपनियां हैं। ये लाइसेंस राज का लाभ उठाने वाली कंपनियां हैं, जिन्होंने प्रतिस्पर्धा को रोका और अन्य को प्रवेश करने से रोका। यहां तक कि अगर आप कोई पुरानी पड़ चुकी कार निर्माण करते थे, तो आप तकरीबन एकाधिकार रखते थे क्योंकि सभी अन्य को हटा दिया गया था।’
जेटली ने कहा,‘1991 के बाद यह बदला। मैं समझता हूं कि भारत में जो कुछ हो रहा है ये उसका प्रतीक हैं। आप कोई पेशा ले लें। महज यह वजह अब मायने नहीं रखती कि आपके पिता एक बड़े वकील थे या आप डॉक्टर थे या आपका पारिवारिक कारोबार था।’ उन्होंने कहा कि भारत का चरित्र भी ज्यादा युवा, निश्चित रूप से आजादी के बाद वाली पीढ़ी का हो गया है। यही कारण है कि अब आप राज्य दर राज्य मेधा आधारित नेतृत्व देखेंगे।
जेटली ने कहा,‘अब भी बड़ी तादाद में राजनीतिक पार्टियां हैं जिनमें किसी परिवार के गिर्द जमावड़ा है। उनकी मजबूती इसे एकजुट रखने की मौजूदा पीढ़ी की क्षमता पर निर्भर करेगी। और मुझे लगता है कि कांग्रेस यह खो रही है। जो कुछ राज्य कांग्रेस के पास बचे हैं, वहां यह बहुत अच्छा करती प्रतीत नहीं हो रही है। केरल में गुटबाजी ने उसकी छवि बिगाड़ दी है। तमिलनाडु में यह वस्तुत: खत्म हो गई है। पश्चिम बंगाल में यह सिकुड़ गई है। असम में इसके प्रमुख नेता पार्टी छोड़ रहे हैं और भाजपा में शामिल हो रहे हैं। दिल्ली जैसे राज्यों में, अगर आप देखें, वह आठ प्रतिशत लोकप्रिय मत में सिमट गई है। पिछली बार की शासक पार्टी आठ प्रतिशत लोकप्रिय मत में सिमट गई है।’
जेटली ने कहा,‘यह रुझान जारी है। मैं देख सकता हूं कि जनाधार में गिरावट पंजाब में भी हो रही है। मैं समझता हूं कि यह उसे असम में भारी नुकसान पहुंचाएगा। इसने अरुणाचल में उन्हें नुकसान पहुंचाया।’ उन्होंने उत्तराखंड के राजनीतिक संकट को कांग्रेस की आंतरिक समस्या बताते हुए कहा,‘उन्होंने नेताओं का एक हिस्सा खो दिया क्योंकि नेताओं को महसूस हुआ कि केंद्रीय नेतृत्व उनसे मिलने या बात करने के लिए भी उपलब्ध नहीं है।’
जेटली वस्तुत: उत्तराखंड के विद्रोही कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत की पुरानी टिप्पणी की चर्चा कर रहे थे जिन्होंने कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के पास ‘राजद्रोह के आरोपी’ जेएनयूएसयू अध्यक्ष कन्हैया कुमार से मुलाकात के लिए वक्त है लेकिन मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद करने वाले उत्तराखंड के कांग्रेस नेताओं से बात करने के लिए वक्त नहीं है।