अनिवार्य मतदान अलोकतांत्रिक और गैरजरूरी : कानून मंत्री
विधि मंत्री ने कहा कि भारत में लगभग 10 करोड़ से अधिक मजदूर काम के सिलसिले में एक जगह से दूसरे जगह जाते हैं। अत: अनिवार्य मतदान संभव नहीं है।

अनिवार्य मतदान की मांग को अस्वीकार करते हुए सरकार ने शुक्रवार को कहा कि भारत जैसे विशाल देश में यह गैर जरूरी और अलोकतांत्रिक मांग है। साथ ही इसे लागू कर पाना भी असंभव-सा है। जनार्दन सिंह सिग्रिवाल की ओर से निजी विधेयक पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कानून मंत्री सदानंद गौडा ने कहा कि देश में लगभग 25 करोड़ लोग आम चुनाव में हिस्सा नहीं लेते और इतनी बड़ी आबादी को इसके लिए दंडित करना अव्यवहारिक और असंभव दोनों है। उन्होंने कहा कि आस्ट्रेलिया, मैक्सिको, फिजी और यूनान जैसे कई देशों ने अनिवार्य मतदान लागू किया था लेकिन उसकी अव्यवहारिकता को देखते हुए वापस ले लिया।
विधि मंत्री ने कहा कि भारत में लगभग 10 करोड़ से अधिक मजदूर काम के सिलसिले में एक जगह से दूसरे जगह जाते हैं। अत: अनिवार्य मतदान संभव नहीं है। एक उदाहरण देते हुए उन्होंंने कहा कि तीन लाख से कुछ अधिक की आबादी वाले तस्मानिया जैसे छोटे देश में अपने यहां अनिवार्य मतदान लागू किया, मगर वह भी सफल नहीं हुआ।
गौडा ने बताया कि तस्मानिया में मतदान नहीं करने पर 26 डॉलर का जुर्माना है और वहां के पिछले चुनाव में छह हजार लोगों ने मतदान नहीं किया। लेकिन सरकार केवल मतदान नहीं करने वाले दो हजार लोगों से ही जुर्माना वसूल पाई। भारत में अगर 25 करोड़ मतदान नहीं करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए, तो पूरी व्यवस्था ही ठप पड़ जाएगी। इसके लिए न इतनी जेलें होंगी और न इतनी अदालतें जो इन मामलों का निपटारा कर सके। मंत्री के आग्रह पर सिग्रिवाल ने अपना विधेयक वापस ले लिया।
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