20 साल पुरानी पार्टी को खत्म होने से बचा पाएंगे चिराग पासवान? बिहार में 15 साल में 29 से 1 सीट पर पहुंची
रामविलास पासवान ने 2000 में लोक जनशक्ति पार्टी की स्थापना की थी, 2005 में पार्टी ने 29 सीटों पर जीत हासिल की थी, पर इस साल हुए विधानसभा चुनाव में लोजपा महज 1 सीट ही हासिल कर पाई।

बिहार में इस साल हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा और जदयू ने एनडीए गठबंधन में रहते हुए जीत हासिल की और नीतीश कुमार के चौथी बार सीएम बनने के सपने को भी पूरा किया। हालांकि, एनडीए से अलग होकर बिहार में किस्मत आजमाने का फैसला करने वाली लोजपा की किस्मत इतनी अच्छी नहीं रही। चिराग पासवान के नेतृत्व वाली यह पार्टी महज 1 सीट पर ही जीत दर्ज कर पाई, जबकि अन्य सभी सीटों पर उसे हार नसीब हुई। चौंकाने वाली बात यह है कि रामविलास पासवान के निधन के बाद बिहार में सहानुभूति फैक्टर का चिराग को कोई फायदा नहीं हुआ और पार्टी ने अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन किया।
अपने पहले चुनाव में भी लोजपा ने किया था बेहतर प्रदर्शन: गौरतलब है कि लोजपा की स्थापना साल 2000 में रामविलास पासवान ने की थी। दलित समुदाय के बीच लोकप्रिय नेता के तौर पर उभरे पासवान ने धीरे-धीरे पार्टी को मुख्यधारा से जोड़ा और पहली बार 2004 के लोकसभा चुनाव में उतारा। पार्टी ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए चार सीटें हासिल कीं। तब लोजपा कांग्रेस और राजद के साथ यूपीए गठबंधन का हिस्सा थी। यूपीए की चुनाव में जीत के साथ ही पासवान को गठबंधन सरकार में केमिकल एंड फर्टिलाइजर मिनिस्ट्री सौंपी गई थी।
कांग्रेस के साथ लड़ते हुए पाई थीं सर्वाधिक सीटें: इसके बाद फरवरी 2005 में बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ लड़ते हुए लोजपा ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और 29 सीटों पर कब्जा जमाया। हालांकि, इसी साल अक्टूबर में फिर विधानसभा चुनाव हुए और लोजपा महज 10 सीटों पर ही सिमट गई। तब से लेकर अब तक लोजपा राज्य स्तर पर संघर्ष करती ही नजर आई है। हालांकि, 2020 के विधानसभा चुनाव का प्रदर्शन पार्टी के लिए अब तक का सबसे खराब दौर साबित हुआ है। ऐसे में लोजपा को अब फिर से मुख्यधारा की पार्टी बनाना चिराग के लिए मुश्किल काम साबित होने वाला है।
घर-परिवार के लोग तक नहीं बचा पाए सीट: राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान जमुई से सांसद हैं। प्रदेश अध्यक्ष प्रिंस राज समस्तीपुर से सांसद है। हालांकि, विधानसभा चुनाव में उतरे चिराग पासवान के बहनोई मृनाल पासवान उर्फ धनंजय राजापाकर सीट से तीसरे नंबर पर रहे। उनको मात्र 24689 वोट मिले, उन्हें कांग्रेस की प्रतिमा कुमारी ने हराया। पारिवारिक सीट रोसड़ा से रामविलास पासवान के भतीजे एवं पूर्व सांसद (स्व.रामचंद्र पासवान) के पुत्र और पार्टी प्रदेश अध्यक्ष प्रिंसराज के भाई किशन राज भी बुरी तरह हार गये। वे सिर्फ 22995 वोट ही ला पाए।
Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, लिंक्डइन, टेलीग्राम पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App। Online game में रुचि है तो यहां क्लिक कर सकते हैं।