संशोधित कानून की मदद से अब केंद्र शासित प्रदेश के बाहर रहने वाले लोग भी जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीद सकते हैं। बाहर के लोग राज्य में गैर-कृषि भूमि खरीद सकते हैं, वहीं कृषि भूमि पर अनुबंध खेती की अनुमति होगी। इस कानून की मदद से उद्योगों के विकास के लिए औद्योगिक विकास निगम की स्थापना हो सकेगी। निगम संघ शासित प्रदेश में औद्योगिक क्षेत्रों एवं औद्योगिक एस्टेट में उद्योगों की त्वरित एवं सुनियोजित ढंग से स्थापना में मदद करेगा और उसे सुनिश्चित करेगा।
गैर जम्मू-कश्मीर के किसानों की खेती की ज़मीन ख़रीदने पर भी कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। इसके साथ ही वहां बिल्डिंग बनाने, रहने और दुकान बनाने के लिए कोई सीमाएं तय नहीं की गई हैं। यह हिमाचल के कुछ पहाड़ी राज्यों में अब भी लागू होता है। हालांकि, ये नए संशोधन केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख पर लागू नहीं हैं।
नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा, “जम्मू-कश्मीर को सेल पर रखते हुए यहां के नागरिकों की मूल सुरक्षा को हटा दिया गया है। इस संशोधन के ज़रिए जनसंख्यिकीय परिवर्तनों का भी डर जुड़ा हुआ है। वो राज्य के चरित्र को बदलना चाहते हैं।”
गुप्कर घोषणा के लिए पीपुल्स एलायंस(पीडीपी, सीपीआई, सीपीएम और पीपुल्स कांफ्रेंस समेत कई राजनीतिक दलों का गठबंधन) ने केंद्र की कार्रवाई को “बहुत बड़ा विश्वासघात” बताया है। गठबंधन के प्रवक्ता सजाद लोन, जो पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष भी हैं, ने कहा, “यह जम्मू और कश्मीर के लोगों के अधिकारों पर एक बड़ा हमला है और यह पूरी तरह से असंवैधानिक है।”
सरकार द्वारा औद्योगिक या वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए अधिग्रहित भूमि को अब किसी को भी बेचने की अनुमति दी जा सकती है। इससे पहले, जम्मू और कश्मीर के केवल ‘स्थायी निवासी’ ही ऐसी जमीन खरीद सकते थे। हालांकि अब इसे तकनीकी रूप से बाहरी लोगों के लिए खोल दिया गया है. सरकार कुछ सुरक्षा मानकों को नोटिफिकेशन के ज़रिए लागू कर सकती है।