देश में जनवरी-फरवरी से शुरू होगी CAA की प्रक्रिया, जानें कैसे बंगाल चुनाव में भाजपा को मिल सकता है इसका फायदा
भाजपा बंगाल चुनाव में सीएए को भुनाने की कोशिश में है। पिछले महीने जब गृहमंत्री अमित शाह राज्य के दौरे पर आए तब उन्होंने भी इस मुद्दो को उठाया।

भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय और मुकुल रॉय ने दावा किया है कि नागरिकता संशोधन कानून 2019 (CAA) जनवरी या फरवरी में लागू कर दिया जाएगा। बंगाल में भाजपा के पर्यवेक्षक विजयवर्गीय ने उत्तर 24 परगना में पार्टी कार्यक्रम में कहा, ‘संभवत: जनवरी से उन सभी लोगों को भारतीय नागरिकता देने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी जो शरणार्थी हैं। ये लोग धार्मिक उत्पीड़न का सामना करने के बाद बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आए हैं। इन्होंने हमारे देश में शरण मांगी है। भाजपा सरकार ऐसे सभी लोगों को नागरिकता देगी। पड़ोसी देशों से सताए जाने के बाद भारत आए इन शरणार्थियों को नागरिकता देने की केंद्र सरकार की ईमानदार मंशा है।’
इसी तरह रविवार को पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय ने रेड रोड पर विरोध सभा में इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि सीएए का कार्यान्वयन जनवरी या फरवरी से शुरू हो जाएगा। मुझे पूरा भरोसा है आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा 200 से अधिक सीटों के साथ सत्ता में आएगी। इसके बाद सत्ताधारी टीएमसी को माइक्रोस्कोप के जरिए भी नहीं देखा जा सकेगा।
भाजपा बंगाल चुनाव में सीएए को भुनाने की कोशिश में है। पिछले महीने जब गृहमंत्री अमित शाह राज्य के दौरे पर आए तब उन्होंने भी मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि इस कानून को लागू करने में अभी थोड़ा समय है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी महीने भर पहले इस तरह की टिप्पणी की थी।
बंगाल में चुनाव में भाजपा दरअसल मटुआ समुदाय को लोगों को लुभाने की कोशिश में है जिसके ज्यादातर सदस्य बांग्लादेश से आए शरणार्थी हैं। इस समुदाय ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में मतदान किया था। जिसके दम पर भगवा पार्टी बंगाल में अपना बेहतरीन प्रदर्शन करने में कामयाब रही। हालांकि राज्य में बंगाल भाजपा नेतृत्व का एक तबका इस बात से परेशान है कि नए कानून को लागू करने की देरी की वजह से ये समुदाय पार्टी के खिलाफ जा सकता है।
पिछले महीने भाजपा सांसद सांतनु ठाकुर ने कहा था कि वो इस बारे में गृहमंत्री को पत्र लिखेंगे और अनुरोध करेंगे कि बंगाल में इस कानून को जल्द से जल्द लागू किया जाए ताकि मटुआ समुदाय को नागरिकता का अधिकार मिल सके। ठाकुर इसी समुदाय के सदस्य हैं।
मटुआ समुदाय ने धार्मिक उत्पीड़न के कारण 1950 के दशक में बंगाल में पलायन किया था। राज्य में कम से कम तीस लाख की आबादी के साथ ये समुदाय कम से कम चार लोकसभा सीटों और नदिया, उत्तर और दक्षिण 24 परगना में 30-40 विधानसभा सीटों पर खासा प्रभाव रखता है।