Maharashtra News: बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने हाल ही में ऐसे व्यक्ति की सजा कम की, जिसने अपनी पत्नी को ठीक से मांस नहीं पकाने के कारण मौत के घाट उतार दिया था। हाईकोर्ट ने आरोपी की सजा कम करते हुए कहा कि उने क्रूर या असामान्य तरीके से कृत्य को अंजाम नहीं दिया। कोर्ट ने कहा कि यह बिना किसी पूर्व योजना के अचानक हुए झगड़े का मामला है। इसलिए अदालत ने उसे भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 304 भाग I के तहत दोषी ठहराया और उसकी सजा घटाकर 10 साल के कठोर कारावास में बदल दिया।
फैसला सुनाते वक्त क्या बोला बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court): इस मामले में फैसला सुनाते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा, “जाहिर है कि आरोपी पहले से हमले के लिए तैयार नहीं था। जब उसने देखा कि मृतका ने खाना नहीं बनाया तो उसने उसे गाली दी और उसके साथ मारपीट की। हमले में इस्तेमाल किया गया हथियार छड़ी जैसा घातक हथियार है। इस मामले को देखते हुए हम पाते हैं कि अपीलकर्ता को पता था कि चोटें मृतक की मृत्यु का कारण बन सकती हैं।”
कोर्ट ने आगे कहा, “आरोपी की ओर से चोट पहुंचाने का इरादा था। हालांकि, आरोपी ने अनुचित लाभ नहीं उठाया या क्रूर या असामान्य तरीके से काम नहीं किया। आरोपी का कृत्य भारतीय दंड संहिता की धारा 300 के अपवाद 4 के तहत कवर होगा और इसलिए आरोपी का मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 304 भाग- I के तहत कवर होगा।”
ठीक से मांस न पकाने पर की पत्नी की हत्या (Murder): अभियोजन पक्ष का कहना है कि आरोपी शराब पीकर पत्नी के साथ मारपीट करता था। अपीलकर्ता के पड़ोसी और रिश्तेदार ने उसे अपनी पत्नी के साथ झगड़ा करते और लात-घूसों से पीटते हुए देखा, क्योंकि उसने मांस ठीक से नहीं पकाया था और उसे जला दिया था। बाद में पड़ोसी ने आरोपी की पत्नी को मृत देखा और पुलिस से संपर्क किया। सुनवाई के दौरान चार गवाह मुकर गए। केवल मामले की खबर देने वाले पड़ोसी ने गवाही दी जिसके बाद मृतका के पति को हत्या का दोषी पाया गया।
मेडिकल रिपोर्ट में पीड़िता के चेहरे और छाती पर कई बाहरी चोटों के साथ-साथ फेफड़े, पसलियों, हृदय, अग्न्याशय और प्लीहा पर आंतरिक चोटें सामने आयीं। वहीं, आरोपी ने अपराध से इनकार किया। उसने बचाव में तर्क दिया कि उसकी पत्नी मिर्गी से पीड़ित थी। घटना के दिन उसे दौरा पड़ा था और वह ज़मीन पर गिरकर घायल हो गई थी। अदालत ने कहा कि अभियुक्त ने अपने बचाव में जो तर्क दिया था, उसे मेडिकल साक्ष्य द्वारा खारिज कर दिया गया।
अदालत ने ठहराया गैर-इरादतन हत्या का दोषी: अदालत ने कहा कि अचानक झगड़ा हुआ और अपीलकर्ता की मारने की योजना नहीं थी। पत्नी के शरीर के महत्वपूर्ण हिस्सों पर चोट के निशान नहीं थे। अदालत ने कहा कि सबूत यह नहीं दिखाते कि अपीलकर्ता ने क्रूर या असामान्य तरीके से काम किया। इसलिए अदालत ने हत्या की सजा रद्द कर दी और उसे गैर-इरादतन हत्या का दोषी ठहराया।