महाराष्ट्र में चल रहे सियासी घटनाक्रम के बीच बुधवार रात उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उद्धव के इस्तीफे पर एक टीबी डिबेट के दौरान बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने तंज कसा। उन्होंने कहा कि चलती चक्की देख के, दिया कबीरा रोये। दो पाटन के बीच में, साबुत बचा न कोए। उन्होंने शिवसेना नेता किशोर तिवारी से कहा कि आपके साथ विचारधारा की वजह से थे शिवसैनिक, वो किसी बाप की बपौती नहीं है।
महाराष्ट्र की सियासत पर बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि हमारा कोई रोल नहीं था। आज उद्धव ठाकरे ने अपनी अंतिम कैबिनेट में कहा कि जब औरंगाबाद का नाम संभाजी नगर बदला। ये बहुत पुरानी मांग थी। जो बाला साहेब ठाकरे के जमाने से थी। उन्होंने कहा कि एक तरफ आप (उद्धव ठाकरे) यह करेंगे। दूसरी तरफ राज्यसभा में इमरान प्रताप गढ़ी को भेजेंगे, जो औरंगाबाद में जाकर औरंगजेब की कब्र पर जाकर आंसू बहाकर उनका प्रशस्ति गान करता है। इतनी डायवर्जन चीजों में जब आप वैलेंस बनाने की कोशिश करते हैं तो उसका अंजाम यही होता है, जो संत कबीर का एक दोहा है मुझे याद आता है कि चलती चक्की देख के, दिया कबीरा रोये। दो पाटन के बीच में, साबुत बचा न कोए।
सुधांशु त्रिवेदी ने शिवसेना नेता से कहा कि जो जनता महाराष्ट्र में आपके साथ थी। जो आपके शिवसैनिक आपके साथ थे। वो किसी व्यक्ति के लिए नहीं थे। वो उस विचारधारा के नाम पर थे, जिनके लिए आपने पार्टी बनाई।
त्रिवेदी ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज के साम्राज्य का नाम हिंदवी स्वराज। उसके बाद पेशवाओं के समय में वो हुआ हिंदुतवपादशाही। 1857 के स्वतंत्र समर के समय में नाना साहेब पेशवा उसके प्रतीक रहे। उसके बाद लोकमान्य तिलक रहे। उसके बाद बाला साहेब ठाकरे ने उस विचारधारा को आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा कि शिवसेना किसी के बाप की बपौती नहीं है।
बता दें, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने पद से बुधवार रात इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने विधान परिषद की सदस्यता भी छोड़ दी है। लाइव ब्रॉडकास्ट में उन्होंने कहा कि मैं नहीं चाहता कि शिवसैनिकों का खून बहे इसलिए मैं पद छोड़ रहा हूं। आप चाहें तो इसकी खुशी मना सकते हैं।
बता दें कि राज्यपाल ने 30 जून को फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया था। आज यानी 29 जून को सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट के फैसले पर रोक लगानेसे इनकार कर दिया था। इसी बीच उद्धव ने इस्तीफा दे दिया।