वैशाली और शिक्षा से जुड़े विवादों का जरूर कोई नाता है। दो साल पहले कई मंजिली इमारत की दीवारों पर जान जोखिम में डालकर बच्चों को नकल की पर्चियां थमाते अभिभावकों की फोटो वायरल होने के बाद राज्य की बदतर शिक्षा व्यवस्था की ओर सबका ध्यान खिंचा था। अब वैशाली जिले के भगवानपुर स्थित विष्णु राय कॉलेज विवादों में हैं। यहीं से एक बार फिर बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड के 12वीं के टॉपर्स मिले हैं। पिछले साल साइंस टॉपर इसी ‘चमत्कारी’ कॉलेज से था। इस बार के साइंस टॉपर सौरभ श्रेष्ठ और आर्ट्स टॉपर रूबी राय भी यहीं से ताल्लुक रखते हैं। दोनों बच्चों की मीडिया से हुई बातचीत वायरल होने के बाद राज्य की शैक्षिक व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल उठे हैं।
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इस वाकये से शर्मसार बीएसईबी ने करीब-करीब यह फैसला कर लिया है कि आर्ट, साइंस, कॉमर्स और मानव विज्ञान में टॉप करने वाले बच्चों का अगले साल से अनिवार्य तौर पर इंटरव्यू किया जाए। इस प्रक्रिया को शुरू करते हुए बीएसईबी ने श्रेष्ठ, राय समेत सभी टॉपरों को इस शुक्रवार इंटरव्यू के लिए बुलाया है ताकि उनका दोबारा से मूल्यांकन किया जा सके। बोर्ड के चेयरमैन लालकेश्वर प्रसाद ने कहा कि बोर्ड और एजुकेशन डिपार्टमेंट के सीनियर अफसरों की बैठक के बाद अनिवार्य तौर पर इंटरव्यू किए जाने की प्रक्रिया को शुरू किया जाएगा।
ऐसा पहली बार नहीं है, जब वैशाली का विष्णु राय कॉलेज ‘असाधारण नतीजे’ देने के लिए विवादों में है। कॉलेज पिछले साल उस वक्त सुर्खियों में आ गया, जब यहां 12वीं की बोर्ड परीक्षा में बैठने वाले सभी 1007 स्टूडेंट प्रथम श्रेणी से पास हो गए। तत्कालीन शिक्षा मंत्री पीके शाही ने इसी कॉलेज के साइंस टॉपर विशाल कुमार का कुछ वक्त के लिए रिजल्ट रोका, लेकिन बाद में कुछ ‘सतही जांच प्रक्रिया’ के बाद विशाल को टॉपर घोषित कर दिया गया। 2015 में इसी कॉलेज के साइंस वर्ग के 222 छात्रों को एक जैसे नंबर मिले। हालांकि, बीएसईबी की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई।
उधर, पॉलिटिकल साइंस की टॉपर रूबी राय के पिता अवधेश ने कहा, ‘मेरी बेटी ने दसवीं की परीक्षा सेकेंड डिविजन में पास किया। हमने कभी उम्मीद नहीं की थी कि वो राज्य में टॉप कर जाएगी। हम इस मामले की वजह से बेहद दुखी हैं चाहते हैं कि बीएसईबी अपना रुख जल्द से जल्द साफ करे।’
इन सबके बाद भी एक विवाद सामने आता है। कॉलेज के प्रिंसिपल अमित कुमार उर्फ बच्चा बाबू की शैक्षिक योग्यता सवालों के घेरे में है। कॉलेज के कुछ पूर्व स्टाफ ने बीएसईबी से शिकायत की थी कि प्रिंसिपल की पीएचडी की डिग्री ‘फर्जी’ है। वहीं, अमित कुमार का कहना है कि वे किसी भी अधिकारी को अपनी डिग्री दिखाने के लिए तैयार हैं। अमित के मुताबिक, जिन लोगों को कॉलेज से निकाल दिया गया, वे ही ऐसे आरोप लगा रहे हैं। प्रिंसिपल ने यह भी कहा कि बीएसईबी द्वारा उनके कॉलेज के टॉपरों की दोबारा से जांच किए जाने को लेकर वे परेशान नहीं हैं।