सीटों के बंटवारे पर बोले नीतीश कुमार- बीजेपी के साथ सम्मानजनक समझौता हो गया है
साल 2014 में, भाजपा ने बिहार में 22 सीटों पर चुनाव जीता था और एनडीए गठबंधन को कुल मिलाकर 31 सीटें मिली थीं। भाजपा से 17 साल पुराना गठबंधन तोड़कर अलग होने वाली जदयू को इन चुनावों में मात्र दो ही सीटें मिली थीं।

दो हफ्ते पहले ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल युनाइटेड ने 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए बिहार में भाजपा के सीट वितरण के फॉर्मूले पर नाराजगी जताई थी। लेकिन जदयू सुप्रीमो नीतीश कुमार ने रविवार (16 सितंबर) को पटना में कहा, ”भाजपा के साथ हमारा सम्मानजनक समझौता हो गया है। इस बारे में औपचारिक घोषणा बाद में की जाएगी।” भाजपा के द्वारा पिछले महीने तैयार किए गए पहले प्रस्ताव के मुताबिक, ये कहा जा रहा था कि भाजपा बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से 20 पर चुनाव लड़ सकती है। शेष सीटों में से 12 सीटें जदयू को दी जाएंगी। जबकि छह सीटों पर रामविलास पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी और दो सीटें उपेंद्र कुशवाहा को भी दी जाएगी। उस वक्त जदयू ने कहा था कि ये प्लान न ही ठीक है और न ही सम्मानजनक है।
उस समय मीडिया से एक जदयू नेता ने गोपनीयता की शर्त पर कहा था,”ये भाजपा भी जानती है कि ये स्वीकार्य नहीं है।” जदयू नेता के मुताबिक, पार्टी नेताओं का मत है कि भाजपा और जदयू दोनों ही प्रदेश में 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ें। जबकि रामविलास पासवान को बाकी की छह सीटें दे दी जाएं। हालांकि जदयू के बड़े नेता आरसीपी सिंह ने एएनआई से कहा कि सीटों के बंटवारे का मामला आखिरी चरण में है। औपचारिक घोषणा जल्दी ही की जाएगी।
The discussions of seat sharing had been going on for a long time. The discussions are on the final stage. You will get an official information on this matter soon: RCP Singh, JD(U) on JD(U)-BJP seat sharing #Bihar pic.twitter.com/oBbzEMngW8
— ANI (@ANI) September 16, 2018
बिहार में एनडीए गठबंधन में सहयोगी उपेन्द्र कुशवाहा की रालोसपा ने पहले ही ऐसे संकेत दिए थे कि वह गठबंधन छोड़ सकते हैं। उपेन्द्र कुशवाहा के खीर वाले बयान के बाद जिसमें उन्होंने खीर बनाने के लिए यादवों से दूध मांगा था और कुशवाहा समाज का चावल उसमें मिलाने की बात कही थी। इस बयान से उन्होंने साफ संकेत दिए थे कि वह अपने साझीदारों को बदल सकते हैं।
साल 2014 में, भाजपा ने बिहार में 22 सीटों पर चुनाव जीता था और एनडीए गठबंधन को कुल मिलाकर 31 सीटें मिली थीं। भाजपा से 17 साल पुराना गठबंधन तोड़कर अलग होने वाली जदयू को इन चुनावों में मात्र दो ही सीटें मिली थीं। हालांकि नीतीश कुमार ने बाद में साल 2015 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और लालू यादव की पार्टी राजद से हाथ मिला लिया था। करीब 20 महीने बाद हुए इन चुनावों में भाजपा को बिहार में करारी शिकस्त देखनी पड़ी थी।
लेकिन राज्य में 40 सीटों के बंटवारे पर उठे विवाद के बाद जुलाई में भाजपा सुप्रीमो अमित शाह ने दौरा किया था। भाजपा को इस विवाद को सुलझाने के लिए जेडीयू ने 12 अगस्त की डेडलाइन दी थी। जदयू के नेता केसी त्यागी ने कहा था कि जदयू का धैर्य जवाब दे रहा है, चुनाव को खुले मन से लड़ने के मुद्दे पर भाजपा को अपना रुख साफ रखना चाहिए।