राजद प्रमुख लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव रविवार (1 मई) को किसानों और मजदूरों से जुड़ने के लिए एक ‘जनशक्ति यात्रा’ शुरू कर रहे हैं। तेज प्रताप यादव के इस कदम को कई लोग ‘पार्टी से अलग होने की तरफ एक और कदम’ के तौर में देख रहे हैं। तेज प्रताप यादव की इस यात्रा को पार्टी का समर्थन नहीं है और वह जनशक्ति परिषद के बैनर तले इस यात्रा की शुरुआत करने जा रहे हैं।
राजद ने तेज प्रताप की जनशक्ति यात्रा पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया। पार्टी के एक प्रवक्ता ने कहा, “हमें उनके बारे में कुछ भी नहीं बोलने के लिए कहा गया है क्योंकि इसे अक्सर गलत तरीके से पेश किया जाता है।” तेज प्रताप अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पर किसानों और मजदूरों को सम्मानित करने के लिए पटना के बिहटा प्रखंड के करई गांव जाएंगे।
तेज प्रताप के एक करीबी सूत्र ने बताया, “वह आने वाले दिनों में पूरे बिहार में इस यात्रा को लेकर जाएंगे। हर पंथ और जाति के किसानों और मजदूरों से जुड़ना है। वह किसानों के साथ ‘सत्तू’ खाएंगे और दलित बस्तियों का भी दौरा करेंगे और वहां पर रहने वालों को बाबा साहब बीआर अंबेडकर की छोटी-छोटी मूर्तियां भेंट करेंगे।”
खुद को ‘स्वतंत्र’ रूप से स्थापित करने की कोशिश में तेज प्रताप
तेज प्रताप जनशक्ति यात्रा के साथ अपनी स्वतंत्र राजनीतिक पहचान बनाने की कोशिश कर रहे हैं। तेज प्रताप ने हाल के दिनों में छोटे भाई तेजस्वी यादव के साथ इफ्तार पार्टियों में भी शिरकत की है, लेकिन खुद को एक ‘गंभीर राजनेता’ के रूप में स्वतंत्र रूप से स्थापित करने के लिए वह लगातार परिवार पर दबाव बनाते नजर आ रहे हैं। पार्टी की तरफ से नजरअंदाज किए जाने की खबरों के बीच, उनकी इस यात्रा को लेकर सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर जारी है। फिलहाल, पार्टी ने इस यात्रा से दूरी बना ली है और इसको लेकर पार्टी की तरफ से कोई बयान भी नहीं दिया गया है।
इसके पहले, तेज प्रताप ने नौ पत्रकारों को ‘गलत रिपोर्टिंग’ के लिए कानूनी नोटिस भेजा था। तेज प्रताप ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उन्होंने केवल उन लोगों को नोटिस भेजा है जिन्होंने ‘तथ्यों की जांच किए बिना उनके बारे में खराब चीजें दिखाईं।”