बिहार में साल 1983 में घटित चर्चित बॉबी सेक्स स्कैंडल का सूत्रधार संवैधानिक पद पर बैठा एक कांग्रेसी नेता था। इस स्कैंडल में लिप्त नेताओं और अफसरों की संख्या अनगिनत थी लेकिन इसबार के सेक्स रैकेट में हल्का ट्विस्ट है। सूत्रधार एक हैंडसम और सत्ता का करीबी करोड़पति ऑटोमोबाइल कारोबारी निखिल प्रियदर्शी है जबकि धंधे का पार्टनर और मजा लेने वालों में कई शक्तिशाली सफदपोश और ब्यूरोक्रेटस हैं। गुरूवार (02 मार्च) को पटना की पास्को कोर्ट ने निखिल की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। एक दिन पहले ही कोर्ट ने उसके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया था। सूत्र बताते हैं कि फिलहाल निखिल प्रियदर्शी शिमला में मौज-मस्ती कर रहा है। एक पत्रकार को उसने फोन पर बताया, ‘‘मेरे मोबाइल में कई नेताओं और अधिकारियों की आपत्तिजनक फिल्म कैद है। अगर मुझे परेशान किया जाएगा तो मैं इसे यू-ट्यूब पर अपलोड कर दूंगा, सबकी खटिया खड़ी हो जाएगी।’’
इधर, दलित पीड़िता ने रोते-रोते पुलिस को बताया, ‘‘मैं नहीं जानती थी कि निखिल प्रियदर्शी सचमुच में लड़कियों का शिकारी है और सेक्स रैकेट चलाता है। मैं पहली मुलाकत में ही उसको अपना दिल दे बैठी। प्यार किया नहीं जाता, हो जाता है। मेरे साथ भी यही हुआ।’’ पीड़िता एक दबंग पूर्व कांग्रेसी मंत्री की बेटी और पटना के एक हाई प्रोफाइल गर्ल्स स्कूल में पढ़ी-लिखी है। यौन पीड़िता को निखिल ने भरोसा दिलाया था कि वह बहुत जल्द ही उससे शादी करेगा। करोड़पति ऑटोमोबाइल कारोबारी निखिल उसको साथ-साथ लेकर अपने कुनबे में घुमाने-फिराने लगा। जल्द ही पारिवारिक रिश्ते भी बन गए। दोनों ने अपने-अपने दोस्तों के बीच बाजाप्ता इस बात का ऐलान कर दिया कि हमलोगों की वेडिंग सेरेमोनी ऐसी होगी कि जमाना वर्षों तक याद रखेगा लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ। होना भी नहीं था क्योंकि निखिल इस कहावत में विश्वास रखता है कि मौजूदा पिज्जा-बरगर के जमाने मे रोज दूध पीने के लिए घर में गाय रखना जरूरी नहीं है।

तीन महीने तक साथ रहने के बाद पीड़िता को शक हुआ कि दाल में थोड़ा नहीं, बहुत काला है। वो कहती है, ‘‘मैंने नजदीक से देखा कि कई पावरफूल लोग इस सेक्स रैकेट में दंड-बैठक कर रहे हैं। मुझे घिन आने लगी, साथ ही डर भी।’’ अब यह पीड़िता पिंड छुड़ाने का प्रयास करने लगी। हालांकि, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। रैकेट के दलदल में बुरी तरह से वह फंस चुकी थी। गलत संगत में रहने का खामियाजा उसे वीभत्स तरीके से भुगतना पड़ा। निखिल की मौजूदगी में ही आरोपी कांग्रेस नेता के अलावे कई और लोगों ने जबरन उसका शारीरिक दोहन किया और जब मना करने लगी तो उसकी पिटाई शुरू हो गई। आज भी शरीर पर घाव के निशान पिटाई की गवाही दे रहे हैं।
निखिल प्रियदर्शी के तरकस में यह दलित पीड़िता अकेली नहीं थी। उसकी तरह दर्जनों सुंदर कॉलगर्ल थीं जो ऑर्डर पर समाज के तथाकथित सम्मानित लोगों की सेवा करती थीं। पटना के बोरिंग रोड स्थित एक अपार्टमेंट के एक फलैट में प्रतिदिन शाम को महफिल सजती थी। पुलिस के एक आला अधिकारी बताते हैं कि सेक्स रैकेट की जांच कर रही पुलिस टीम में भी एक शख्स ऐसा है जो उस महफिल में शिरकत करता था। कमीशनर रैंक का एक अधिकारी अपने चहेते इवेन्ट मैनेजर के जरिए निखिल के तरकस के तीरों का इस्तेमाल करता था। उसे अक्सर अपने सरकारी बंगले में बुलवाता था। फिलहाल वो आरोपी इवेन्ट मैनेजर फरार है।
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सूत्र बताते हैं कि निखिल का जलवा बीसवीं सदी के प्रारम्भ में परवान चढ़ने लगा था, जब उसको मंडल आन्दोलन से उपजे सामाजिक न्याय के एक भारी नेता के दो कुख्यात नजदीक रिश्तेदारों का घोषित आशीर्वाद और संरक्षण उसे मिलने लगा। कहा जाता है कि निखिल ने सत्ता के काफी करीब उन दोनों शख्सों को किस्म-किस्म की तितलियां सप्लाई की थीं। चर्चित शिल्पी गौतम सेक्स हत्याकांड में भी बतौर कलप्रीट उनमें से एक रिश्तेदार का नाम आरोपी के तौर पर उछला था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार हत्या के पहले शिल्पी से सामूहिक रेप किया गया था लेकिन तब की उड़ती खबरों पर यकीन किया जाए तो सत्ता का करीबी वह रिश्तेदार जांच एजेन्सी सीबीआई को ही अपने पक्ष में पटिया लिया।