Meena Singh joins BJP: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को एक बार फिर करारा झटका लगा है। जेडीयू से दो बार सांसद रहे चुकीं मीना सिंह ने भाजपा का दामन थाम लिया। इससे पहले नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले उपेंद्र कुशवाह भी नीतीश कुमार को अलविदा कह चुके हैं। उपेंद्र कुशवाह ने नई पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल बनाई है।
मीना सिंह ने रविवार को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, बिहार इकाई के अध्यक्ष संजय जायसवाल और पार्टी नेता सम्राट चौधरी की मौजूदगी में भाजपा ज्वाइन की। पटना स्थित बापू सभागार में एक कार्यक्रम में उनके बेटे विशाल सिंह भी समर्थकों के साथ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए।
जदयू छोड़कर भाजपा में शामिल हुईं मीना सिंह की भोजपुर और रोहतास जिले में मजबूत पकड़ है। उन्हें यहां के प्रभावशाली नेता के तौर पर देखा जाता है। मीना सिंह का जेडीयू से जाना नीतीश कुमार के लिए भोजपुर, रोहतास, बक्सर और कैमूर जिलों के भोजपुरी बेल्ट में एक बड़ा झटका हो सकता है। वह इन जिलों में सवर्णो के बीच एक प्रभावशाली नेता हैं। इससे पहले उपेंद्र कुशवाहा और आर.सी.पी. सिंह भी जदयू छोड़ चुके हैं।
मीना सिंह के पति अजीत सिंह का भी इस क्षेत्र में अच्छा खासा दबदबा था। कुछ दिनों से मीना सिंह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फैसलों से खुश नहीं थीं, इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह तेजस्वी यादव को डिप्टी सीएम बनाने के साथ उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित किया जाना बताया जा रहा है। जिससे जेडीयू के ही कई नेता नाराज माने जा रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद मीना सिंह ने कहा, ‘मैंने और मेरे पति ने जीवन भर जंगलराज के खिलाफ लड़ाई लड़ी है। लालू-राबड़ी सरकार के दौरान बिहार के लोग जंगलराज की गिरफ्त में थे, बिहार में पूरी तरह से अराजकता थी। मीना सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार के आरजेडी के साथ जाने पर बिहार में फिर से जंगलराज लौटेगा। इसलिए, मैंने और मेरे बेटे ने जदयू से अपना नाता तोड़ लिया है। उन्होंने कहा, मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की प्रगतिशील विचारधारा पर पूरा भरोसा है। यहीं सोचकर मैंने बीजेपी का दामन थामा है।
2004 में मीना सिंह के पति अजीत सिंह 2004 में बिक्रमगंज सीट सांसद बने
मीना सिंह के पति अजीत सिंह भी 2004 में बिक्रमगंज लोकसभा सीट से विजयी रहे थे, लेकिन 2007 में उनकी असामयिक मौत हो गई। पति की मौत के बाद मीना सिंह ने उनकी राजनीतिक विरासत संभाली और लगातार दो बार सांसद बनने में सफल रही थी। मीना सिंह ने अपने पति के निधन के बाद 2008 के उपचुनाव में जेडीयू के लिए बिक्रमगंज लोकसभा क्षेत्र जीता। वह 2009 में आरा लोकसभा क्षेत्र से भी चुनी गईं, लेकिन 2014 के चुनाव में वहां से हार गईं और 2019 में चुनाव नहीं लड़ा था।
साल 1984 में अजीत सिंह के पिता तपेश्वर सिंह बिक्रमगंज से रहे सांसद
अजीत सिंह के पिता तपेश्वर सिंह भी 1984 में बिक्रमगंज से सांसद रहे थे, वे बिस्कोमान के अध्यक्ष भी रहे थे और सहकारिता सम्राट कहे जाते थे। मीना सिंह के बेटे विशाल सिंह भी परिवार के विरासत को बढ़ाते हुए नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर फेडरेशन के अध्यक्ष हैं। ऐसे में मीना सिंह का बेटे के साथ भाजपा में शामिल होना जदयू छोड़ना पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।