बिहार जदयू में इन दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के नेता उपेंद्र कुशवाहा के बीच ठनी हुई है। कहा जा रहा है कि उपेंद्र कुशवाहा जल्द ही जदयू छोड़ने का ऐलान कर सकते हैं। बिहार जेडीयू में मचे घमासान के बीच अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने बात की नीतीश कुमार से नाराज चल रहे उपेंद्र कुशवाहा से। आइए आपको बतातें हैं उपेंद्र कुशवाहा से बातचीत की खास बातें।
नीतीश कुमार द्वारा की जा रही बयानबाजी को लेकर किए गए सवाल पर उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, “इसका जवाब देना बहुत मुश्किल नहीं है कि मैं अपनी ही पार्टी से कुछ कड़े सवाल क्यों पूछता रहा हूं। जब मैंने मार्च 2021 में RLSP का JD(U) में विलय किया, तब JD(U) NDA का हिस्सा था। यह बाद में महागठबंधन नाम के एक नए गठबंधन का हिस्सा बन गया और मेरे पास अभी भी कोई मुद्दा नहीं था। लेकिन चिंता तब पैदा हुई जब दोनों के बीच किसी ‘डील’ की बात हुई।”
उन्होंने आगे कहा कि CM ने तेजस्वी यादव को बिहार के भावी नेता के रूप में पेश कर मामले को और उलझा दिया है। JD(U) के कार्यकर्ता और समर्थक भी अपनी पार्टी के भविष्य को लेकर आशंकित हैं। JD(U) और RJD के विलय की बात ने मामले को और बदतर बना दिया। अगर मुझसे इस मामले पर चर्चा की जाती तो मैं तेजस्वी के नेतृत्व के लिए राजी नहीं होता।
जब उपेंद्र कुशवाहा से सवाल किया गया कि क्या वो अपने सियासी भविष्य को लेकर चिंतित हैं तो उन्होंने कहा, “यह एक व्यक्ति के रूप में उपेंद्र कुशवाहा के बारे में नहीं है। मैं पार्टी का प्राथमिक सदस्य बनकर बहुत खुश हूं। JD(U) के RJD के साथ गठबंधन करने में कुछ भी गलत नहीं है। हालांकि, तेजस्वी को भविष्य के नेता के रूप में पेश करना जदयू के अंत का संकेत देता है। जदयू कुछ व्यक्तियों की पार्टी नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि समता पार्टी में विलय से पहले शरद यादव ने इसका नेतृत्व किया। समता पार्टी का गठन जॉर्ज फर्नांडे्स ने किया था। बाद में नीतीश कुमार ने इसे संभाला। हमारे जैसे बहुत सारे लोगों ने भी जदयू की ग्रोथ के लिए काम किया है। उन्होंने कहा, “मैंने पहली बार दिसंबर के तीसरे हफ्ते में सीएम के सामने ये विषय उठाए। मैंने कुरहानी उपचुनाव में अपनी पार्टी की हार का विषय उठाया और तर्क दिया कि पिछले तीन उपचुनावों में वोट शेयर उम्मीद के मुताबिक नहीं था।”
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि नीतीश कुमार बिहार को बुरे पुराने दिनों से बाहर लेकर आए हैं। अब यह बर्दाश्त नहीं होगा कि राज्य की कमान उसी परिवार को सौंप दी जाए जो इसकी दुर्दशा के लिए जिम्मेदार है।
तेजस्वी यादव को सीएम प्रोजेक्ट किए जाने के सवाल पर उपेंद्र कुशवाहा ने कहा , “मैंने वह मामला भी उठाया लेकिन उन्होंने कुछ ऐसा कहा जो मैं यहां नहीं कह सकता। एक बात मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं कि ऐसा लग रहा था कि वह RJD के किसी तरह के दबाव में हैं। लेकिन ऐसे फैसले एकतरफा नहीं लिए जा सकते। आखिरकार, RJD के प्रदेश अध्यक्ष (जगदानंद सिंह) ने यह सुझाव दिया कि नीतीश कुमार RJD नेता (तेजस्वी) के लिए बिहार की कुर्सी छोड़ दें। उन्होंने पार्टी के कमजोर होने के मेरे सभी तर्कों को एक तरह से खारिज कर दिया… मैं निराश हो गया।”
JD(U) नेताओं द्वारा महत्वाकांक्षी कहे जाने के सवाल पर उन्होंने कहा, “यह किसी एक व्यक्ति या उसकी महत्वाकांक्षा का सवाल नहीं है। मैं इस बात से परेशान नहीं हूं कि CM सहित जदयू के शीर्ष नेता मेरे बारे में क्या कहते रहे हैं. मैंने कोई पार्टी विरोधी गतिविधि नहीं की है जिसके लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। मैं अभी भी पार्टी को मजबूत करने की कोशिश कर रहा हूं। एक राजनीतिक दल अपने बेस वोट के बिना जीवित नहीं रह सकता है। चाहे वह ओबीसी और लव-कुश (कुर्मी-कोइरी) हो, आर्थिक रूप से पिछड़ी जातियां (EBC) हों या फिर महादलित। 2020 विधानसभा चुनाव परिणाम ने यह दर्शाया। हाल ही में हुए उपचुनाव में भी यह दिखाई दिया कि हम जमीन गंवा रहे हैं। बीजेपी आगे बढ़ रही है, हमें नुकसान हो रहा है। मैं लोगों के बीच में जा रहा हूं क्योंकि नीतीश कुमार ने न तो इसपर चर्चा सही समझी औऱ न ही इससे पार पाने का कोई तरीका बताया।”