बिहार चुनाव: कभी लालू के करीबी थे रीतलाल, रेलवे के सारे ठेके इन्हीं को मिलते थे, बीजेपी उम्मीदवार के पति का कत्ल समेत हैं 33 केस
पटना जिले की दानापुर सीट पर सबकी नजर है। यहां मौजूदा बीजेपी विधायक आशा देवी सिन्हा का मुक़ाबला बाहुबली से राजनेता बने रीतलाल यादव से है। आरजेडी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे रीतलाल पर सिन्हा के पति की हत्या का आरोप है।

बिहार चुनाव के पहले चरण के मतदान हो चुके हैं। अब सभी राजनीतिक दल दूसरे चरण के चुनाव प्रचार में लगे हैं। सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व वाला एनडीए गठबंधन लालू प्रसाद के 15 साल के शासनकाल के दौरान कानून एवं व्यवस्था की खराब स्थिति को लेकर महागठबंधन पर लगातार निशाना साध रहा है। बावजूद इसके राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेतृत्व वाले महागठबंधन ने अब तक अपने अभियान को विकास की राजनीति और तेजस्वी यादव के युवाओं के लिए 10 लाख नौकरियों के वादे पर केंद्रित रखा है।
पटना जिले की दानापुर सीट पर सबकी नजर है। यहां मौजूदा बीजेपी विधायक आशा देवी सिन्हा का मुक़ाबला बाहुबली से राजनेता बने रीतलाल यादव से है। आरजेडी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे रीतलाल पर सिन्हा के पति की हत्या का आरोप है। 2003 में रीतलाल ने सिन्हा के पति सत्यनारायण सिन्हा की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
राजधानी पटना से सटे, दानापुर विधानसभा सीट पर 3 नवंबर को मतदान होना है। इस सीट पर 2000 में लालू प्रसाद द्वारा प्रतिनिधित्व किया गया था। वहीं 2005 के बाद से यहां से आशा देवी चुनाव लड़ रही हैं। उनके की हत्या 30 अप्रैल, 2003 को हुई थी।
रीतलाल के खिलाफ हत्या, हत्या का प्रयास, जबरन वसूली और शस्त्र अधिनियम के प्रावधानों के तहत 33 मामले दर्ज़ हैं। इसके लिए वे 2010 में जेल भी गए थे। वह इनमें से आठ मामलों में बरी हो चुका है और जमानत पर बाहर है। 2013 में, रीतलाल के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज़ किया गया था। बिहार के किसी भी राजनेता के खिलाफ इस अधिनियम के तहत दर्ज़ किया गया यह पहला मामला था।
2010 में, रीतलाल ने जेल से अंदर से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर विधानसभा चुनाव लड़ा था। लेकिन इस चुनाव में वे हार गए थे। वह यादवों के गढ़ में 41,000 वोट हासिल करने में कामियाब रहे थे। इस दौरान आशा सिन्हा को 59,000 और राजद उम्मीदवार सच्चिदानंद को केवल 11,000 मत मिले थे।
चार बार की विधायक आशा देवी ने रीतलाल को चुनावी टिकट दिए जाने पर आरजेडी की निंदा की है। भाजपा विधायक ने पूछा, ‘बिहार में आरजेडी के सीएम फेस तेजस्वी यादव रीतलाल जैसों को टिकट देकर किस तरह का बदलाव लाना चाहते हैं।’
आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के करीबी माने जाने वाले रीतलाल पहली बार 1990 के दशक में सुर्खियों में आए थे। तब दानापुर डिवीजन के रेलवे के सारे ठेके उन्हें और उनके आदमियों को ही मिलते थे। सत्यनारायण सिन्हा की हत्या के बाद वह फरार हो गए थे, 2010 में रीतलाल ने आत्मसमर्पण किया और जेल गए।
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