नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता पंजी. (एनआरसी) पर एआईएमआईएम प्रमुख और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के चलते इनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन रुके थे। हालात जैसे ही सामान्य होंगे प्रदर्शन दोबारा शुरू होगा। ओवैसी ने रविवार (25 अक्टूबर, 2020) को बिहार के किशनगंज में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए ये बात कही।
एनआरसी और सीएए के मुद्दे पर उन्होंने आरजेडी और कांग्रेस भी निशाना साधा। ओवैसी ने कहा कि भाजपा और संघ द्वारा सीमांचल में बसे लोगों को घुसपैठिया कहा जा रहा था, उस वक्त ना आरजेडी ने और ना ही कांग्रेस ने अपना मुंह खोला। उन्होंने कहा कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को समझना चाहिए कि भारत के मुस्लिम छोटे बच्चे नहीं हैं, जो उनकी गलत बातों में आकर यकीन कर लेंगे। बकौल ओवैसी सीएए ऐसा कानून है जो संविधान के खिलाफ हैं, ये हमारे संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।
सभा में ओवैसी ने सीएम नीतीश कुमार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार लोगों के समक्ष गलत बयानी कर रहे हैं। इससे सिर्फ मुसलमानों और दलितों के लिए समस्या नहीं है, बल्कि इससे देश की 50 फीसदी आबादी प्रभावित होगी। उन्होंने असम का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां 20 लाख लोगों ने एनआरसी सूची से खुद को बाहर पाया, जिसमें मुसलमान मात्र पांच लाख हैं जबकि 15 लाख हिंदू हैं।
ओवैसी ने कहा कि सरकार को इन मुद्दों के बजाय शिक्षा, रोजगार तथा स्वास्थ्य को तरजीह देनी चाहिए। सभा को संबोधित करते हुए रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार, दोनों पर प्रहार करते हुए आरोप लगाया कि इन दोनों नेताओं ने कुल 30 वर्षों के अपने शासन में बिहार को पीछे धकेलने का काम किया।
बता दें कि ओवैसी की पार्टी और मायावती की पार्टी बसपा सहित अन्य दलों के मोर्चा के बिहार विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार रालोसपा प्रमुख कुशवाहा ने लोगों से अपने लिए पांच साल मांगें तथा भरोसा दिलाया कि बिहार में वे उजियारा लाएंगे। (एजेंसी इनपुट)