मरीजों को बड़ा राहत, एम्स में 500 रुपए से कम वाली सभी जांच होंगी मुफ्त!
देश के दूर दराज के अस्पतालों से थक हारकर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को भागदौड़ से राहत दिलाने और इलाज में तेजी लाने के लिए 500 रुपए से कम खर्च वाली जांचों का शुल्क को समाप्त करने की योजना है।

देश के दूर दराज के अस्पतालों से थक हारकर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को भागदौड़ से राहत दिलाने और इलाज में तेजी लाने के लिए 500 रुपए से कम खर्च वाली जांचों का शुल्क को समाप्त करने की योजना है। इसके एवज में निजी वार्डों के शुल्क कुछ बढ़ा दिए जाएं। इससे न केवल मरीजों को राहत होगी बल्कि संस्थान के काम में भी तेजी आएगी। संस्थान ने यह प्रस्ताव करने से पहले इसका व्यापक अध्ययन किया है।
बीते दिनों केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश के प्रमुख चिकित्सा संस्थानों से कहा था कि वे उन शुल्कों की समीक्षा करके जानकारी दें जिनमें 20 साल में कोई बदलाव नहीं हुआ है। मंत्रालय की इस पेशकश पर एम्स ने शुल्क के सभी पहलुओं का विस्तृत अध्ययन किया ताकि बहुआयामी जानकारी मिले और ज्यादा प्रभावी फैसला किया जा सके। अध्ययन की अगुआई एम्स गैस्ट्रोलाजी विभाग के मुखिया डॉ अनूप सराया ने की। इसमें मरीजों की संख्या, उनके आने की जगह, उनके आने-जाने से लेकर संस्थान में इलाज के लिए रुकने तक का खर्चा और संस्थान को उससे होने वाली आमदनी, शुल्क उगाही में लगे एम्स के मानव संसाधन, मशीनरी व संसाधनों पर होने वाले कुल खर्चे तक का विस्तृत अध्ययन किया गया।
इस अध्ययन में पता चला कि मरीज को घर से यात्रा करने पर अधिक खर्च करना पड़ता है। इसके साथ ही खाने पर खर्च होता है और खुद व तीमारदार के ठहरने पर खर्च करना पड़ता है। इसके अलावा मरीज और तिमारदार दोनों को आय का भी नुकसान उठाना पड़ता है। यह खर्च काफी अधिक पड़ जाता है। अध्ययन में यह भी कहा गया है कि बताई गई जांच के लिए उपयोग शुल्कों का भुगतान करने के वास्ते और नियत तारीख पर जांचों के लिए लंबी कतारों का सामना करना पड़ता है।
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