अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी का मुकाबला बिखरा हुआ विपक्ष आखिर कैसे कर पाएगा? सवाल बड़ा है और मौजूं भी। एक तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बुलडोजर बाबा की छवि जनता के सिर चढ़ कर बोल रही है। वहीं, दूरी तरफ समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ऐसे मजबूत सियासी कंधे की तलाश में है जिनके सहारे वे लोकसभा चुनाव में अपनी नैया पार लगा सकें। चुनाव डेढ़ साल बाद है, लेकिन अभी तक ये तीनों ही राजनीतिक दल अपने लिए साथी तलाश नहीं कर पाए हैं।
सपा ने कहा- सभी 80 सीटों पर पार्टी उतारेगी अपने उम्मीदवार
दो दिन पूर्व समाजवादी पार्टी ने पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के एक पांच सितारा होटल में राष्ट्रीय कार्यकारिणी का आयोजन किया। इसमें सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एलान किया कि वे लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटों पर प्रत्याशी खड़े करेंगे और सब पर जीत दर्ज करेंगे। यदि सिर्फ बयान के लिहाज से अखिलेश यादव के इस कथन को देखा जाए तो वो अखबारों की सुर्खियां जरूर बटोर पाने में कामयाब रहे लेकिन जमीनी हकीकत की यदि बात हो तो उनका कथन धरातल पर उतरता नजर नहीं आता।
बहुजन समाज पार्टी में रणनीति पर अभी चर्चा ही नहीं हुई
इसकी एक बानगी देखिए। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में अखिलेश यादव ने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव के पहले सपा दलित मतदाताओं को अपने पाले में करने का हर संभव प्रयास करेगी। जबकि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से ले कर 2022 के विधानसभा चुनाव तक दलित अपनी चहेती बहुजन समाज पार्टी का खेमा छोड़ कर भारतीय जनता पार्टी के साथ ही लगातार खड़ा रहा। जिसके चलते भाजपा को लगातार उत्तर प्रदेश में जीत हासिल होती रही। उधर, बहुजन समाज पार्टी अभी तक शीत निद्रा से बाहर नहीं आई है। आगामी लोकसभा चुनाव में उसकी रणनीति क्या है? इसका इल्म पार्टी के कार्यकर्ताओं को ही अब तक नहीं है।
पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष इस वक्त अपने परिवार के एक विवाह समारोह की तैयारियों में बेहद व्यस्त हैं। रही सही कसर उन्होंने माफिया अतीक अहमद की पत्नी को अब तक पार्टी से बाहर का रास्ता न दिखा कर पूरी कर दी है। आलम यह है कि अतीक की पत्नी परवीन जिन्हें बसपा ने इलाहाबाद से अपना संभावित महापौर प्रत्याशी बनाया है, के नाम पर विवाह का कार्ड प्रयागराज भेजा गया है।
ऐसा तब है जब परवीन फरार हैं और उन पर योगी सरकार ने 25 हजार रुपए का इनाम घोषित कर रखा है। मायावती का परवीन प्रेम उत्तर प्रदेश की जनता को और खासतौर पर बसपा के पांरपरिक मतदाताओं को बेहद अखर रहा है। अब बात कांग्रेस की।
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस आपसी गुटबाजी का इस कदर शिकार है कि कई नेताओं के आपसी खेमे पार्टी के माल एवेन्यू स्थित प्रदेश मुख्यालय पर सक्रिय हैं। बीते पंद्रह वर्षों में कांग्रेस ने प्रदेश सरकारों के विरोध में जब भी धरना प्रदर्शन का एलान किया, पार्टी के कार्यकर्ता माल एवेन्यू के प्रदेश मुख्यालय से चंद कदम चल कर पुलिस की बैरीकेडिंग पर रुक गए। कांग्रेसी विरोध के नाम पर काल एवेन्यू से बाहर तक नहीं आ सके।