इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (IICF) ने बताया कि अयोध्या के धन्नीपुर गांव में पांच एकड़ जमीन पर मस्जिद निर्माण और अन्य पब्लिक यूटीलिटी का निर्माण कार्य नवंबर के आखिर में शुरू हो जाएगा। जमीन बीते सोमवार को IICF के नाम की गई थी। IICF के प्रवक्ता और सचिव अतथर हुसैन ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि जमीन पर अस्पताल निर्माण का काम दो साल पूरा होने की उम्मीद है।
अतथर हुसैन ने कहा कि हमने प्रोफेसर एमएम अख्तर से जल्द से जल्द इसका डिजाइन भेजने के लिए कहा है। (प्रोफेसर अख्तर जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में वास्तुकला विभाग के प्रमुख हैं।) हम चाहते हैं कि अस्पताल का निर्माण थोड़ा जल्द हो जाए। अस्पताल निर्माण के संबंध में एक समय सीमा है कि इसका निर्माण दो साल के भीतर हो जाएगा। हम सलाहकारों के साथ संपर्क में हैं क्योंकि हमें हॉस्पिटल निर्माण के लिए कई तरह की मंजूरी की जरुरत होगी और इसमें समय भी लगेगा।
उन्होंने आगे कहा कि हमें मस्जिद के बारे में तकनीकी बातों का पता लगाने की भी जरुरत होगी, जिसका निर्माण कार्य प्रोफेसर अख्तर से डिजाइन मिलने के बाद शुरू किया जा सकता है। IICF को उम्मीद है कि प्रोफेसर अख्तर आगे सात से दस दिनों में कॉम्प्लेक्श का डिजाइन भेज देंगे। उन्होंने कहा कि हम पहले कागजी कार्रवाई और अस्पताल निर्माण के लिए अन्य औपचारिकताओं को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
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राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद केस से जुड़े अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन मुहैया कराने के लिए कहा था। इस साल जुलाई में बोर्ड की देखरेख में IICF का गठन किया गया। इसमें मस्जिद के साथ एक हॉस्पिटल, इंडो-इस्लामिक रिसर्च सेंटर और एक सामुदायिक रसोईघर पर बनाया जाएगा। रिसर्च सेंटर में एक लाइब्रेरी और एक म्यूजियम भी बनाया जाएगा।
मस्जिद निर्माण के लिए जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ज़ुफर फारूकी और IICF के संस्थापक ट्रस्टी मोहम्मद शुएब की उपस्थिति में रजिस्टर्ड की कराई गई। सोहावल के सब-रजिस्ट्रार महेंद्र प्रताप मिश्रा ने बताया कि भूमि मूल्यांकन के आधार पर इसकी अनुमानित कीमत 1.54 करोड़ रुपए थी। उन्होंने बताया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड से IICF को जमीन ट्रांसफर करने के लिए कागजी कार्रवाई में 7.74 लाख रुपए के स्टैंप लगाए गए थे। इसके अतिरिक्त 1.54 लाख रुपए की रजिस्ट्री फीस का भी भुगतान किया गया।