अयोध्या की विवादित जमीन को लेकर चल रहे विवाद में सरकार की याचिका पर निर्मोही अखाड़े ने सवाल खड़े किए हैं। दरअसल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि अयोध्या में 67.7 एकड़ जमीन पर कोई विवाद नहीं है ऐसे में इसे उसके मूल मालिकों को सौंप दिया जाना चाहिए। इस मामले में अब निर्मोही अखाड़ा ने विश्व हिंदू परिषद और मोदी सरकार पर मिलीभगत का आरोप लगाया है। दरअसल इस जमीन को लेकर वीएचपी के रामजन्मभूमि न्यास और निर्मोही अखाड़ा भी पक्षकार हैं। ऐसे में निर्मोही अखाड़े ने केंद्र सरकार से मंशा साफ करने को कहा है और साथ ही कोर्ट जाने की धमकी भी दी है। अखाड़े को आशंका है कि मंदिर निर्माण का काम वीएचपी को दिलाया जा सकता है।
निर्मोही अखाड़े का आरोपः गौरतलब है कि हाल ही में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि अयोध्या में सिर्फ 0.313 एकड़ जमीन को लेकर विवाद है। ऐसे में बाकी की जमीन रामजन्मभूमि न्यास को सौंप दी जानी चाहिए। निर्मोही अखाड़े की तरफ से लंबे समय से न्यास पर अपने अधिकारों पर अतिक्रमण करने का आरोप लगाए जाते रहे हैं। इससे पहले मंगलवार को वीएचपी ने बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार के फैसले को सराहा था।
अखाड़े ने सरकार से पूछा सवालः निर्मोही अखाड़े की तरफ से महंत दीनेंद्र दास ने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘इस मुद्दे पर एक बार फिर राजनीति हो रही है। सरकार का यह कदम सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचा सकता है। सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार क्यों नहीं कर सकती? निर्मोही अखाड़े ने ही वास्तविक राम जन्मभूमि पर दावा किया था और हमें ही वहां मंदिर बनाना है।’