देश का उत्तरी-पूर्व राज्य असम में बाढ़ की समस्या गहराती जा रही है। यहां बारिश का मौसम हर साल लोगों के मुसीबत लेकर आता है, लेकिन भौगोलिक स्थिति के चलते इस पर बहुत कुछ किया भी नहीं जा सकता है। राज्य के बराक घाटी स्थित 150 बेड वाले कचार कैंसर अस्पताल और अनुसंधान केंद्र में चारों तरफ पानी भरा हुआ है। हालात कुछ ऐसा है कि बीच सड़क पर मरीजों को कीमोथेरेपी दी जा रही है। लगातार बारिश की वजह से मुसीबत और बढ़ गई है। जब भी बारिश थमती है, अस्पताल के डॉक्टर और अन्य कर्मचारी तुरंत मरीज के उपचार में जुट जाते हैं।
असम में पिछले 24 घंटों में बाढ़ के परिणामस्वरूप पांच और लोगों की मौत हो गई, लगभग तीन सप्ताह पहले आपदा शुरू होने के बाद से मरने वालों की संख्या 72 हो गई है। राज्य में लगभग 74 लाख लोग विस्थापित हुए हैं।
अस्पताल प्रशासन ने सरकार से मांग की है कि जीवन-रक्षक-जैकेट और पीड़ितों एवं कर्मचारियों को लाने-ले जाने के लिए हवा भरकर चलाए जाने वाली नाव तत्काल उपलब्ध कराई जाए, जिससे कि इलाज और अन्य कार्य जारी रखा जा सके। अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि जो इलाज अस्पताल के बाहर संभव है, उसे हम करने की कोशिश कर रहे हैं, जहां कम जलजमाव है।
बोले- “अगर किसी को आपातकालीन सर्जरी की आवश्यकता होती है तो हम उनका संचालन कर रहे हैं, लेकिन नाइट्रस गैस की कमी के कारण हम बेहोश करने का काम नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए कम से कम मरीजों को ही ले पा रहे हैं।” कहा कि डॉक्टरों ने पिछले सप्ताह में लगभग चार ऑपरेशन किए थे, जबकि बाढ़ के गंभीर होने से पहले लगभग 20 ऑपरेशन किए गए थे।
अस्पताल सूत्रों के अनुसार, बाढ़ के गंभीर होने से एक हफ्ते से अधिक समय पहले कैंसर अस्पताल के लगभग सभी बिस्तरों पर मरीज थे, लेकिन उन्हें मजबूरन घर या सुरक्षित स्थानों पर भेजना पड़ा और अब इसके वार्डों में सिर्फ 85 मरीज हैं।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मीडिया से कहा- “पास की बराक नदी एक पड़ोसी राज्य की पहाड़ियों से बहती है। जबकि ब्रह्मपुत्र नदी के पास स्थित कई अन्य क्षेत्रों में बाढ़ का पानी कम होना शुरू हो गया है, कछार और उसके पड़ोसी करीमगंज और हैलाकांडी जिले की स्थिति गंभीर बनी हुई है।” असम और पड़ोसी बांग्लादेश में, हाल के हफ्तों में विनाशकारी बाढ़ से 150 से अधिक लोग मारे गए हैं और लाखों लोग विस्थापित हुए हैं, और कुछ निचले इलाकों में घर जलमग्न हो गए हैं।