राजस्थान उच्च न्यायालय (Rajasthan High Court) ने शुक्रवार को पिछले सितंबर में 81 कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे से संबंधित पूरे रिकॉर्ड की मांग की है। साथ ही कोर्ट ने विधायकों की खिंचाई करते हुए कहा कि उनके कार्य “खरीद-फरोख्त को बढ़ावा देते हैं।
मामले की अगली सुनवाई 30 जनवरी को
उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ (Deputy Leader of Opposition Rajendra Rathore) की याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने विधायकों के इस्तीफे के मूल पत्रों के संबंध में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के बारे में असली पत्र की मांग की। साथ ही विधायकों द्वारा वापस लिए जाने वाले आवेदनों की मांग और अध्यक्ष सी पी जोशी (Speaker C P Joshi) द्वारा पत्रों को रद्द करने वाले लेटर की मांग की। अदालत ने मामले की सुनवाई की अगली तारीख 30 जनवरी तक संबंधित दस्तावेज मांगे।
विधानसभा सचिव महावीर प्रसाद शर्मा (Assembly Secretary Mahaveer Prasad Sharma) ने 16 जनवरी को उच्च न्यायालय को सौंपे गए एक हलफनामे के अनुसार, “81 विधायकों के इस्तीफे के पत्र, जिनमें से पांच फोटोकॉपी थे, माननीय अध्यक्ष द्वारा प्राप्त किए गए थे जो छह विधायकों द्वारा प्रस्तुत किए गए थे। याचिकाकर्ता का यह कहना सही नहीं है कि 91 इस्तीफे हुए हैं।”
मामले में खुद बहस करते हुए राजेंद्र राठौड़ ने शुक्रवार को कहा कि विधानसभा सचिव द्वारा उच्च न्यायालय को सौंपे गए हलफनामे में पर्याप्त जानकारी नहीं है और संबंधित दस्तावेजों को रिकॉर्ड पर लाने की मांग की गई है। राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि पहले कहा जा रहा था कि 91 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है, लेकिन बाद में बताया गया कि 81 विधायकों ने इस्तीफा सौंपा है। (यह भी पढ़ें: राजस्थान चुनाव में कौन करेगा बीजेपी का नेतृत्व?)
राजेंद्र राठौड़ ने कहा, “किस विधायक ने इस्तीफा दिया, इन इस्तीफों पर स्पीकर की क्या टिप्पणी थी और क्या 110 दिन पुराने इस्तीफे पत्रों की जांच स्पीकर के निर्देश के तहत की गई थी? इस तरह की जांच का परिणाम क्या था और क्या स्पीकर ने पास किया था? यह सब रिकॉर्ड पर लाया जाना चाहिए।” महाधिवक्ता एम एस सिंघवी (Advocate General M S Singhvi) ने कहा कि नियमानुसार इस्तीफा वापस लेने का प्रावधान है। चूंकि विधायकों ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया, इसलिए उनके पत्रों को खारिज कर दिया गया।