अंडमान और निकोबार के पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण गैंगरेप मामले में गिरफ्तार कर लिए गये हैं। उन्हें जांच के लिए अस्पताल ले जाया गया है। पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण की अग्रिम जमानत याचिका को गुरुवार को स्थानीय एक अदालत ने खारिज कर दी। यह फैसला आते ही पुलिसकर्मियों की एक टीम उस निजी रिसॉर्ट पहुंची, जहां नारायण ठहरे हुए थे। इस दौरान वहां बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई थी। सुरक्षाकर्मी उन्हें पुलिस लाइन ले गए।
पूर्व मुख्य सचिव पर आरोप था कि उन्होंने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 21 वर्षीय एक युवती को सरकारी नौकरी का झांसा देकर अपने घर बुलाया तथा वहां वे और कई शीर्ष अफसरों ने उससे सामूहिक दुष्कर्म किया। इन आरोपी की जांच के लिए बाद में विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया गया। उन आरोपों की जांच के लिए किया गया था। गैंगरेप मामले में विशेष जांच टीम (SIT) नारायण से तीन बार पूछताछ कर चुकी है।
पीड़िता के वकील फटिक चंद्र दास ने मीडिया से कहा कि नारायण की अग्रिम जमानत याचिका स्थानीय एक अदालत से खारिज किए जाने के तुरंत बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के वरिष्ठ अधिकारी को गिरफ्तारी के बाद मेडिकल जांच के लिए अस्पताल ले जाया गया।
द इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से कहा था कि मुख्य सचिव के घर में स्थापित क्लोज सर्किट (CCTV) कैमरा सिस्टम के डीवीआर (DVR) की पहले हार्ड डिस्क को डिलीट कर गया और बाद में उनके पोर्ट से दिल्ली ट्रांसफर के समय DVR को भी हटा दिया गया था।
कांग्रेस नेता हरीश रावत ने छावला दुष्कर्म पीड़िता के लिए इंसाफ की मांग की
उधर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बृहस्पतिवार को 2012 में छावला सामूहिक दुष्कर्म का शिकार हुई पीड़िता के लिए इंसाफ की मांग के समर्थन में निकाले गए कैंडल मार्च में हिस्सा लिया। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली के छावला क्षेत्र में 19 वर्षीय युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में निचली अदालत से मृत्यु दंड की सजा पाने वाले तीन आरोपियों को बरी कर दिया था।
उत्तराखंड के पौड़ी जिले की रहने वाली युवती गुरूग्राम साइबर सिटी में काम करती थी। वर्ष 2014 में निचली अदालत ने मामले को ‘दुर्लभ से दुर्लभतम’ करार देते हुए तीनों आरोपियों को मृत्युदंड की सजा सुनाई थी। निचली अदालत के इस फैसले को दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी सही ठहराया था।