खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह को पकड़ने के लिए पंजाब पुलिस लगातार सर्च ऑपरेशन चलाकर उसकी तलाश कर रही है। वहीं, दूसरी ओर अमृतपाल सिंह प्रकरण के मद्देनजर पंजाब में पुलिस की कार्रवाई ने शिरोमणि अकाली दल (SAD) और बादलों को पंथिक राजनीति में अपनी खोई जमीन वापस पाने का अवसर प्रदान किया है।
SAD को 2017 और साल 2022 के विधानसभा चुनावों में हार के बाद से पंजाब की राजनीति के हाशिये पर धकेल दिया गया है। इसकी संख्या तीन निर्वाचन क्षेत्रों के रिकॉर्ड निचले स्तर तक गिर गई है। पार्टी के पंथिक वोट आधार में कमी बेअदबी के मामलों को संभालने के उनके तरीके के कारण हुई।
पंजाब की राजनीति में खोई जमीन की तलाश में जुटी SAD
पंजाब में 12 अक्टूबर, 2015 को बेअदबी की तीसरी घटना के बाद बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए, जिसके बाद भारी पुलिस कार्रवाई हुई जो तब से राज्य में एक राजनीतिक मुद्दा बना हुआ है। उस दिन अकेले कोटकपूरा में पुलिस फायरिंग में 30 से अधिक पुलिस अधिकारियों सहित लगभग 60 लोग घायल हो गए थे। बादल परिवार जो उस समय सत्ता में थे अभी भी मामले के कानूनी नतीजों से निपट रहे हैं।
16 मार्च को फरीदकोट की एक अदालत ने पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी लेकिन उनके पिता और पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल को जमानत दे दी। जिसके बाद सुखबीर को 22 मार्च को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट से अंतरिम जमानत मिली।
हिरासत में लिए गए लोगों को छोड़ रही पंजाब पुलिस
शिरोमणि अकाली दल के लिए इन परेशानियों के बीच खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के लिए पुलिस की कार्रवाई एक अवसर की तरह सामने आई। पुलिस ने इस दौरान 200 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया लेकिन उनमें से कुछ को छोड़ना शुरू कर दिया है। शुक्रवार को पुलिस ने एहतियातन हिरासत में लिए गए 44 युवकों को रिहा कर उनके परिजनों को सौंप दिया।
यह पंजाब के पुलिस महानिरीक्षक (मुख्यालय) सुखचैन सिंह गिल द्वारा घोषणा किए जाने के एक दिन हुई कि हिरासत में लिए गए 207 लोगों में से 177 को चेतावनी के साथ छोड़ दिया जाएगा और ठोस आपराधिक गतिविधियों में शामिल 30 के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए युवकों और आरोपियों की मदद करेगी SAD
इस बीच SAD ने पुलिस कार्रवाई की है। पार्टी ने इस हफ्ते की शुरुआत में घोषणा की थी कि वह पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए युवकों और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत आरोपित लोगों की मदद के लिए एक कानूनी प्रकोष्ठ स्थापित करेगी। अकाली दल के पूर्व विधायक हरिंदरपाल सिंह चंदूमाजरा ने शनिवार को द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “पार्टी ने वरिष्ठ नेताओं के बीच चर्चा के बाद युवा, मासूम युवाओं की मदद करने का फैसला किया है।अकाली दल, सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाली क्षेत्रीय पार्टी होने के नाते आगे आए जहां युवाओं को बिना किसी कारण के हिरासत में लिया गया था। सिख समुदाय के अलावा यह मुद्दा मानवाधिकारों और बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से भी जुड़ा है।”
युवाओं को फर्जी मामलों में फंसाया जा रहा- अकाली दल के विधायक
मंगलवार को गिरफ़्तार युवकों को क़ानूनी सहायता प्रदान करने के कदम की घोषणा करते हुए सुखबीर सिंह बादल ने कहा, “यह चौंकाने वाला है कि सैकड़ों नौजवानों को केवल संदेह के आधार पर अंधाधुंध गिरफ्तार किया जा रहा है।” अकाली दल के विधायक मनप्रीत सिंह अयाली ने बुधवार को विधानसभा में कहा, “कई सिख युवाओं को फर्जी मामलों में फंसाया जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में पंजाब कठिन दौर से गुजरा है। एनएसए लगाकर पंजाब में सिखों को गुलाम जैसा महसूस कराया जा रहा है।” अयाली की पार्टी के सहयोगी विरसा सिंह वल्टोहा ने कहा है कि अमृतपाल प्रकरण एक सामान्य कानून-व्यवस्था की स्थिति है और एनएसए के उपयोग की निंदा की है।
दमन की चल रही लहर- प्रकाश सिंह बादल
गुरुवार को प्रकाश सिंह बादल ने पंजाब में हाल के घटनाक्रम पर चिंता व्यक्त करते हुए निर्दोषों के खिलाफ दमन की चल रही लहर को समाप्त करने का आह्वान किया। उन्होंने राज्य में शांति और सांप्रदायिक सद्भाव के कठिन परिश्रम से बनाए गए माहौल को बनाए रखने के लिए सतर्कता बरतने का भी आह्वान किया।
अमृतपाल प्रकरण के मद्देनजर अकाली दल के बयान और कार्य सिख समुदाय के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रमुख राजनीतिक दल के रूप में खुद को फिर से स्थापित करने के अपने प्रयासों को दर्शाते हैं। हालांकि, ये कार्रवाइयां ऐसे ही नहीं हुई हैं बल्कि उस रणनीति का हिस्सा हैं जिसे पार्टी ने पिछले साल अपनी चुनावी हार के बाद की गई समीक्षा के बाद अपनाया था। अन्य सिफारिशों के अलावा, समीक्षा समिति ने पंथिक समर्थन को फिर से हासिल करने के लिए पार्टी के कामकाज में सुधार और आमूल परिवर्तन का सुझाव दिया।