अयोध्या के विवादित परिसर में नमाज पढ़ने की याचिका खारिज, हाईकोर्ट ने याची पर लगाया 5 लाख का जुर्माना
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आज (गुरुवार) को अयोध्या के विवादित परिसर में नमाज पढ़ने की अनुमति मांगने के लिए दाखिल एक याचिका को न सिर्फ खारिज किया बल्कि कड़ी फटकार भी लगाई।

अयोध्या के विवादित परिसर में नमाज पढ़ने की अनुमति को लेकर एक याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में दायर की गई थी। अदालत ने गुरुवार को यह याचिका खारिज कर दी। साथ ही, याचिकाकर्ता पर 5 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया। कोर्ट ने अयोध्या के डीएम को निर्देश दिया है कि याचिकाकर्ता से सख्ती से यह रकम वसूली जाए।
बता दें कि रायबरेली संसदीय क्षेत्र के अल-रहमान ट्रस्ट ने हाईकोर्ट में याचिका डालकर अयोध्या के विवादित परिसर के एक तिहाई हिस्से में नमाज पढ़ने की अनुमति मांगी थी। यह एक तिहाई हिस्सा इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसले में सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया है। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने नमाज की इजाजत वाली याचिका को सस्ती लोकप्रियता के लिए उठाया गया कदम बताया। इसके बाद कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया। साथ ही, ट्रस्ट पर 5 लाख रुपए का जुर्माना भी लगा दिया। इस मामले की सुनवाई जस्टिस डीके अरोड़ा और जस्टिस आलोक माथुर की बेंच ने की। कोर्ट ने अयोध्या के डीएम को सख्ती से राशि वसूलने का निर्देश भी दिया।
Lucknow High Court Bench dismisses petition filed by Al Rehman Trust seeking permission to offer Namaz at disputed Ayodhya site. Court fined petitioners Rs 5 Lakh saying 'petition's aim is to create unrest and waste court's time'.
— ANI UP (@ANINewsUP) December 20, 2018
याची ने कोर्ट में दलील दी थी कि 30 सितंबर 2010 के हाईकोर्ट के फैसले के तहत विवादित स्थल के एक तिहाई हिस्से में मुसलमानों को नमाज पढ़ने की इजाजत दी जाए, क्योंकि हिंदुओं को वहां पूजा और दर्शन करने की अनुमति दी जा चुकी है। याची ने समानता के आधार पर मुसलमानों को नमाज पढ़ने की अनुमति मिलने की बात कही थी। उत्तरप्रदेश सरकार की ओर से अधिवक्ता श्रीप्रकाश सिंह ने याचिका का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि विवादित स्थल का मसला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। ऐसे में इस तरह की याचिका दायर नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि 2017 में पंजीकृत इस ट्रस्ट ने लोकप्रियता हासिल करने के लिए याचिका दायर की है।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने अयोध्या मामले पर 30 सितंबर 2010 को ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। अदालत ने अपने फैसले में 2.77 एकड़ की विवादित भूमि को तीन बराबर हिस्सों में बांट दिया था। इस बंटवारे में रामलला विराजमान वाला हिस्सा हिंदू महासभा को दिया गया। वहीं, दूसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़े को और तीसरा हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया गया था। फिलहाल इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है।
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