रामचरितमानस पर चल रहे विवाद के बीच समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव (Samajwadi Party Chief Akhilesh Yadav) ने स्वामी प्रसाद मौर्य को बड़ी जिम्मेदारी दी है। स्वामी प्रसाद मौर्य को समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है। बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य को सपा की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शिवपाल यादव और आज़म खान (Shivpal Yadav and Azam Khan) के बराबर का ओहदा दिया गया है।
शनिवार को स्वामी प्रसाद मौर्य ने अखिलेश से की थी मुलाकात
बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य को इतना बड़ा पद दिए जाने के कई कयास लगाए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि सपा प्रमुख पिछड़ों को लामबंद करने की कोशिश कर रहे हैं। शनिवार को स्वामी प्रसाद ने अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। बताया गया कि ये मुलाकात जातीय जनगड़ना को लेकर थी। लेकिन सूत्रों के अनुसार इस बैठक में सपा प्रमुख ने उनसे रामचरितमानस पर बयानों को लेकर भी जवाब मांगा था।
शिवपाल यादव, आजम खान और स्वामी प्रसाद मौर्य के अलावा 11 अन्य लोगों को भी राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया गया है। सपा नेता रवि प्रकाश वर्मा, बलराम यादव, विशम्भर प्रसाद निषाद, अवधेश प्रसाद, इंद्रजीत सरोज, रामजीलाल सुमन, लालजी वर्मा, रामचल राजभर, जे एंटोनी, हरेंद्र मलिक और नीरज चौधरी को भी राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है।
नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में कुल 62 नेता
बता दें कि सपा की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में कुल 62 नेता हैं। अखिलेश यादव अध्यक्ष, किरणमय नंदा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राम गोपाल यादव राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव हैं। जबकि 14 नेता राष्ट्रीय महासचिव, एक कोषाध्यक्ष, 19 नेता राष्ट्रीय सदस्य, 21 नेताओं को सदस्य और 4 नेताओं को विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर शामिल किया गया है।
बता दें कि रविवार को स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि रामचरित मानस धार्मिक ग्रंथ नहीं है। उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा, “गाली कभी धर्म का हिस्सा नहीं हो सकता। अपमान करना किसी धर्म का उद्देश्य नहीं होता। जिन पाखंडियों ने धर्म के नाम पर पिछड़ो, महिलाओं को अपमानित किया, नीच कहा, वो अधर्मी हैं। किसने कहा रामचरितमानस धार्मिक ग्रंथ है? तुलसीदास ने तो नहीं कहा।”