काशी की ज्ञानवापी मस्जिद में कोर्ट के आदेश पर कराए गए सर्वे के दौरान शिवलिंग मिलने के दावे पर टीवी डिबेट के दौरान ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के नेता असीम वकार और बीजेपी के प्रेम शुक्ला के बीच जमकर बहस हुई।
बीजेपी प्रवक्ता प्रेम शुक्ला से असीम वकार ने कहा कि हिंदू धर्म में 12 ज्योतिर्लिंग हैं, ये आप 13वां ज्योतिर्लिंग लेकर कहां से आ गए? इस प्रकार प्रेम शुक्ला ने जवाब देते हुए कहा कि औरंगजेबी संस्कृति के संवाहकों से इसी तरह के कुतर्कों की अपेक्षा है। ज्योतिर्लिंगों के बारे में निर्णय लेने का अधिकार शंकराचार्यों को है, जो हमारी शैव परंपरा के सबसे बड़े संवाहक हैं। ये तो शंकराचार्यों को तय करना है, जिसकी शिव में आस्था ही नहीं है, इसके बारे में वो तय करने वाला कौन हैं?
प्रेम शुक्ला ने कहा कि अब मक्का में काबा शरीफ कैसा होगा कैसे होगा, ये तय करने वाले प्रेम शुक्ला कौन हैं? तो असीम वकार कृपा करके ज्योतिर्लिंग न तय करें। ईमानदारी से बताएं कि औरंगजेब ने जो मंदिर गिराया वो मंदिर हिंदुओं को लौटाया जाना चाहिए या नहीं? सीधी बात बताइए, यहां-वहां घुमाइए मत।
प्रेम शुक्ल ने असीम वकार से पूछा कि जहां पर शिवलिंग है, वहां पर वजू खाना बनाकर क्या आपने शिवलिंग का अपमान नहीं किया? और अगर अपमान किया तो आप माफी कब मांग रहे हैं? इसके जवाब में असीम वकार ने कहा कि क्या आप 13वां ज्योतिर्लिंग प्रकट कराएंगे आप। फव्वारे को आप शिवलिंग बताए दे रहे हैं? पहली बात ये है कि जो प्रकट हुआ वो ज्योतिर्लिंग और जो आदमी ने बनाया वो शिवलिंग। अब तो आप कह रहे हैं कि ज्ञानवापी में प्रकट हो गए बाबा तो उसको ज्योतिर्लिंग बोलिए आप और अगर ज्योतिर्लिंग नहीं है तो आप इस पर दावा कैसे कर रहे हैं। और अगर ये प्रकट हो गए तो मुसलमान ये पूछ रहा है कि भई 13 ज्योतिर्लिंग कैसे हो गए। धर्म के साथ आप खिलवाड़ मत करिए।
असीम वकार का जवाब सुनकर एंकर ने उन्हें बीच टोकते हुए बोला कि आप बात को घुमा क्यों रहे हैं, सर्वे से आप भाग क्यों रहे हैं? इस पर असीम वकार ने एक कहानी सुनाते हुए कहा कि जो आदमी पहले से तय करके आया है उसको मारना ही मारना है तो संविधान और धाराएं उसको पहले ही मालूम हैं। ये लोग तय करके आए हैं कि लेना ही है।