AAP ने याद दिलाया अमित शाह को 7 साल पुराना वादा, तब बोले थे भाजपा नेता- पूरी करूंगा केजरीवाल की इच्छा
AAP ने दिल्ली की तरह ही सूरत में भी गरीब प्रवासी मज़दूर-वर्ग के बीच पहुंच बनाई है। पार्टी को लगता है कि सूरत नगरपालिका चुनाव में उसे दिल्ली मॉडल ने जीत दिलाई है।

आम आदमी पार्टी ने गृह मंत्री अमित शाह को उनका किया एक पुराना वादा याद दिलाया है। साल 2014 में अमित शाह ने कहा था कि अगर 16 मई के बाद भी अरविंद केजरीवाल राजनीति में रहते हैं तो मैं जरूर उनसे बहस करूंगा और उनकी इच्छा पूरी करूंगा। इस पर AAP ने ट्वीट किया है कि एक आम आदमी की ताकत को कमतर नहीं आंकना चाहिए। आम आदमी पार्टी ने कहा कि बीजेपी को लगता था कि आम आदमी पार्टी खत्म हो जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
गौरतलब है कि दिल्ली की तरह ही सूरत AAP के लिए गढ़ साबित हुआ है। यहां भी वोटरों ने राजधानी दिल्ली की तरह ही AAP को पसंद किया है। दिल्ली की तरह ही सूरत में भी बिहार और उत्तर प्रदेश से आए प्रवासी मजदूरों की एक बड़ी संख्या है। जिन्हें आम आदमी पार्टी ने अपना वोटर बना लिया है।
AAP ने दिल्ली की तरह ही सूरत में भी गरीब प्रवासी मज़दूर-वर्ग के बीच पहुंच बनाई है। पार्टी को लगता है कि सूरत नगरपालिका चुनाव में उसे दिल्ली मॉडल ने जीत दिलाई है। AAP ने सूरत में 27 सीटें जीतीं हैं, जिससे पार्टी को निकाय में प्रमुख विपक्ष का दर्जा मिल गया है। AAP नेता और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सूरत में दो रोड शो किए थे और शहर की सड़क पर ‘गरबा’ नृत्य भी किया था। इस असरदार शुरुआत के बाद, पार्टी ने सूरत निकाय में कांग्रेस की जगह ले ली है। AAP संयोजक केजरीवाल 26 फरवरी को सूरत में रोड शो भी करेंगे।
Never underestimate the power of Aam Aadmipic.twitter.com/rRviKxtXo6
— AAP (@AamAadmiParty) February 24, 2021
मालूम हो कि गुजरात निकाय चुनाव नतीजों में बीजेपी को 483 सीटें, कांग्रेस को 55 सीटें,AAP को 27 सीटें मिली हैं। सात सीटों के साथ असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM चौथे नंबर पर है। बहुजन समाज पार्टी को तीन सीटें और निर्दलीय उम्मीदवार ने एक सीट जीती है।
नतीजों ने साफ कर दिया है कि शहरी गुजरात में अभी भी जनादेश बीजेपी के साथ है। मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने भी अपनी परीक्षा पास कर ली है कि उनके खिलाफ कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं है। साथ ही अगले साल होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी को ही बढ़त है।
बता दें कि 2017 के गुजरात चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी। लेकिन इन निकाय चुनाव नतीजों ने कांग्रेस को नाउम्मीद किया है। पार्टी को मालूम चल गया है कि बीजेपी के दबदबे वाले राज्य में उन्हें अपनी चुनावी रणनीति को बदलने की जरूरत है।