Honeytrap Case: कर्नाटक में सोमवार (24 अक्टूबर) को आत्महत्या करने वाले 45 वर्षीय लिंगायत साधु की घटना में बड़ा खुलासा हुआ है। पुलिस जांच में सामने आया है कि एक महिला साधु को हनीट्रैप में फंसाकर ब्लैकमेल कर रही थी। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, सुसाइड नोट में दो नाम मठ से जुड़े हैं। सूत्रों ने कहा, “महिला (अब तक अज्ञात) और अश्लील वीडियो को उसने अपने फोन के स्क्रीन-रिकॉर्डिंग फ़ंक्शन का इस्तेमाल करके कैद किया था।” एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “सुसाइड नोट में एक लाइन लिखा है कि एक अज्ञात महिला ने मेरे साथ ऐसा किया है।” उन्होंने कहा कि जो आगे की जांच में नाम नहीं लेना चाहते थे।
दरअसल, द्रष्टा बसवलिंग स्वामी 24 अक्टूबर को सुबह कर्नाटक के रामनगर जिले में कंचुगल बंदे मठ में अपने प्रार्थना कक्ष की खिड़की की जाली से लटके हुए पाये गये थे। पुलिस ने कल (25 अक्टूबर) को कहा था कि उनके सुसाइड नोट में ब्लैकमेल और उत्पीड़न का खुलासा हुआ है और कुछ लोग उन्हें पद से भी हटाना चाहते थे जिसकी वजह से उन्होंने ये कदम उठाया।
हर एंगल से जांच कर रही है पुलिस
जांच अधिकारी ने बताया, “महिला और कुछ अन्य लोगों ने साधु को धमकी दी कि वे चार अश्लील वीडियो जारी करेंगे।” पुलिस ने कहा कि हमारे पास लीड है कि ये लोग कौन हैं। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, “ये मठ के भीतर और बाहर राजनीति हो सकती है। द्रष्टा कुछ राजनेताओं से अच्छी तरह जुड़े हुए हैं और वे एक दूसरे को बदनाम करने के लिए खींचतान कर सकते हैं, लेकिन सुसाइड नोट में किसी भी राजनेता का जिक्र नहीं है।” पुलिस ने कहा, “हम हर एंगल से मामले की जांच कर रहे हैं।”
20 साल की उम्र में संभाली मठ की अध्यक्षता
द्रष्टा बसवलिंग स्वामी ने साल 1997 में 20 साल की उम्र में 400 साल पुराने मठ की अध्यक्षता संभाली थी और हाल ही में रजत जयंती मनाई थी। सोमवार सुबह करीब छह बजे उन्हें मठ के कर्मचारियों ने फांसी पर लटका हुआ पाया। वहीं, दिसंबर में चिलुमे मठ के मुखिया, जिसे बसवलिंग स्वामी भी कहा जाता है। इसी तरह से लटका हुए पाए गए थे। दो हफ्ते पहले चित्रदुर्ग में मुरुगा मठ के एक लिंगायत द्रष्टा, शिवमूर्ति शरणारू के खिलाफ एक नया मामला दर्ज किया गया था, जो मौजूदा समय बलात्कार के आरोपों में जेल में बंद है। उनके खिलाफ चार नाबालिग लड़कियों ने आरोप लगाया था कि उन्होंने उनका यौन उत्पीड़न किया था।
12 वीं शताब्दी में लिंगायत संप्रदाय की स्थापना
बता दें कि लिंगायत संप्रदाय की स्थापना 12 वीं शताब्दी में समाज सुधारक और कवि बसवेश्वर ने की थी, जिनके महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के कुछ पड़ोसी क्षेत्रों में भी बहुत बड़े अनुयायी हैं।