राजपाट- रिश्तों की तल्खी
नोटबंदी की मियाद खत्म होते ही थम गया था पश्चिम बंगाल सरकार का केंद्र के साथ वाकयुद्ध। उम्मीद बंधी थी कि अब रिश्तों में तनाव घटेगा।

रिश्तों की तल्खी
नोटबंदी की मियाद खत्म होते ही थम गया था पश्चिम बंगाल सरकार का केंद्र के साथ वाकयुद्ध। उम्मीद बंधी थी कि अब रिश्तों में तनाव घटेगा। यूपी में भाजपा के विरोध में प्रचार करने भी नहीं गई थी शायद इसी वजह से ममता बनर्जी। पर कोलकाता हाईकोर्ट के ताजा फैसले से दोनों के रिश्तों में खाई बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है। हाईकोर्ट ने नारद न्यूज के स्टिंग आपरेशन की जांच सीबीआइ को सौंप दी है। पिछले साल सूबे के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हुआ था यह स्टिंग आपरेशन। इसकी वीडियो में ममता की पार्टी के कई बड़े नेताओं को घूस लेते दिखाया गया था। सांसद और विधायक ही नहीं मंत्री तक थे। हल्ला मचा तो ममता ने इस स्टिंग को फर्जी बता कर पल्ला झाड़ लिया था। ऊपर से चुनाव में बंपर सफलता मिल गई तो मामला दब गया था। सरकार ने बाद में नारद न्यूज के सीईओ के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर उन्हें तलब भी कर लिया था।
अदालत ने हस्तक्षेप न किया होता तो जेल में चक्की पीस रहे होते बेचारे। यह बात अलग है कि फोरेंसिक जांच में स्टिंग का वीडियो सही निकला था। रोजवैली के चिटफंड घोटाले के सिलसिले में पार्टी के दो सांसद पहले से ही सलाखों के पीछे हैं। ममता ने इसके लिए केंद्र पर यह कह कर हमला बोला था कि नोटबंदी का विरोध किया तो केंद्र सरकार ने अपनी एजंसियों को उनकी पार्टी के खिलाफ हथियार बना लिया। हाईकोर्ट के ताजा आदेश के बाद जहां मोदी सरकार मामले से अपना कोई लेना-देना नहीं होने की दलील देगी वहीं जांच सीबीआइ के पास होने के चलते ममता केंद्र पर ही करेंगी अपना हमला तेज। कमाल है कि पहले सारदा, फिर रोजवैली और अब नारद न्यूज के स्टिंग ने मुश्किलें बढ़ाई हैं ममता बनर्जी की। जाहिर है कि इस स्टिंग की जांच करते हुए सीबीआइ पार्टी के कुछ आरोपी नेताओं को तो गिरफ्तार भी करेगी ही। तृणमूल कांग्रेस की बदनामी तो होगी ही, विरोधियों को घेरेबंदी का हथियार भी मिल जाएगा।