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जानलेवा बनता युवाओं का नया जुनून

आभासी मंचों पर अजब-गजब करतब करते हुए तारीफें बटोरने का जुनून लोगों की जिंदगी लील रहा है।

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प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर। ( फोटो-इंडियन एक्‍सप्रेस)।

यह चिंता का विषय है कि उम्र का ऐसा दौर, जब समय और ऊर्जा का सकारात्मक इस्तेमाल कर अपना भविष्य गढ़ा जाना चाहिए, युवा एक आभासी मायाजाल में उलझ रहे हैं। महिलाएं अपनी निजता और सुरक्षा को दांव पर लगा रही हैं। बच्चे अजब-गजब भाषा बोल रहे हैं। यह दिशाहीनता लोगों के व्यक्तिगत जीवन पर ही नहीं, पूरे सामाजिक परिवेश पर नकारात्मक प्रभाव डालने वाली है।

आभासी मंचों पर अजब-गजब करतब करते हुए तारीफें बटोरने का जुनून लोगों की जिंदगी लील रहा है। हर कहीं ‘रील्स’ और ‘वीडियो’ फिल्माने की सनक अपनी ही नहीं, दूसरों के लिए भी असुरक्षा और असहजता का कारण बन गई है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि छिटपुट कमाई करने की धुन और आत्ममुग्धता के चलते अपनी ऊर्जा गंवाने और जीवन तक को दांव पर लगाने वालों में हर आयुवर्ग के लोग शामिल हैं।

देखने में आ रहा है कि महिलाओं, पुरुषों और युवक-युवतियों के ही नहीं, छोटे-छोटे बच्चों के ‘रील्स’ भी सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं। इस जुनून में लोगों को न समय का होश रहता है और न स्थान की फिक्र। बस, ट्रेन, हवाई जहाज हो या नदी, समुद्र का किनारा, जान को जोखिम में डालते हुए वीडियो बनाए जा रहे हैं। कभी मोटर साइकिल पर खतरनाक बाजीगरी की जा रही है, तो कभी बहते पानी में करतब करने का जोखिम लिया जा रहा है। हालात ऐसे हो चले हैं कि युवाओं में बढ़ती इस सनक के कारण अब कई जगह ‘रील्स’ या ‘वीडियो’ फिल्माने पर पाबंदी लगाई जा रही है।

हाल ही में दिल्ली मेट्रो ने बाकायदा ट्वीट कर कहा कि ‘यात्रा करें, परेशानी पैदा न करें’। इस संदेश के साथ यह नियम भी लोगों तक पहुंचाया गया है कि दिल्ली मेट्रो के अंदर ‘रील’ या कोई भी वीडियो फिल्माना सख्त मना है। इससे यात्रियों को परेशानी हो सकती है। दिल्ली मेट्रो रेल निगम के नए नियमों के मुताबिक अब मेट्रो में रील बनाने की शिकायत मिलने पर रेल परिचालक, स्टेशन नियंत्रक या सुरक्षाकर्मी यात्री को ट्रेन से भी उतार सकते हैं।

इसके अलावा, दो सौ रुपए के जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है। दरअसल, यह नियम दूसरे यात्रियों को होने वाली असुविधा और खुद ‘रील्स’ बनाने वालों की सुरक्षा के मद्देनजर लागू किया गया है। मेट्रो में कई बार अश्लील वीडियो बनाने के मामले भी सामने आ चुके हैं। गौरतब है कि पहले चेतावनी जारी किए जाने के बावजूद वीडियो फिल्माने का सिलसिला नहीं रुका, तो अब सख्त नियम लागू किए गए हैं।

दरअसल, यह सनक युवाओं की उलझी मन:स्थिति और भयावह आत्ममुग्धता की बानगी है। तभी तो देश भर से आने वाले ‘रील’ और वीडियो बनाते समय होने वाली दुर्घटनाओं के समाचार भी इस जुनून को नहीं रोक पा रहे। तकनीक के सही इस्तेमाल की समझ ही नदारद लगती है। कुछ साल पहले तक ‘सेल्फी’ खींचते हुए होने वालों हादसों में हमारा देश दुनिया में सबसे आगे था। अब यह नया जुनून देखने को मिल रहा है।

अफसोस कि ऐसे जानलेवा खतरे मोल लेते हुए अधिकतर युवा आम दिनचर्या तक से दूर हो रहे हैं। मन-मस्तिष्क की ऊर्जा इस अर्थहीन शौक की भेंट चढ़ गई है। गिनती के पलों में कुछ विशेष कर दिखाने के पागलपन में कभी अश्लील हरकतों का वीडियो फिल्मा रहे हैं, तो कभी अभद्र भाषा बोल कर अलग दिखने का प्रयास कर रहे हैं। युवाओं का इस तरह समय व्यर्थ गंवाना वाकई चिंता का विषय है। इसलिए कि वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में चर्चित हो जाने को कोई सधा हुआ रोजगार नहीं कहा जा सकता।

फिल्म, राजनीति या किसी क्षेत्र विशेष के लोकप्रिय चेहरों के लाखों अनुसरणकर्ताओं को देख कर आम परिवारों के युवा, बच्चे ही नहीं, महिला-पुरुष भी इस जाल में उलझ गए हैं। सोशल मीडिया मंचों पर ऐसे बहुत से वीडियो मौजूद हैं, जिनमें परिपक्व उम्र की स्त्रियां भी अजीबोगरीब हाव-भाव में अभिनय करती नजर आती हैं। आभासी लोकप्रियता के जुनून में आपत्तिजनक वीडियो तक आभासी मंचों पर परोसे जा रहे हैं।

साथ ही, दुर्घटनाएं तो इस जुनून का दुखद हिस्सा हैं ही। हाल ही में बिलासपुर में ‘रील’ बनाते हुए एक छात्र की कालेज की छत से गिर कर मौत हो गई। वह दोस्तों के साथ ‘इंस्टाग्राम’ के लिए ‘रील’ बनवा रहा था और पैर फिसल जाने से यह हादसा हुआ। इसी तरह इंदौर में दसवीं कक्षा का एक छात्र दोस्तों के बीच फांसी लगाने की ‘रील’ बना रहा था और रस्सी का फंदा गले में डालने के बाद संतुलन बिगड़ने से वह सचमुच फंदे पर झूल गया था।

ऐसे हादसों की लंबी सूची है, फिर भी लोगों में ‘रील्स’ बनाने का पागलपन इस कदर हावी है कि अपने साथ-साथ दूसरों की जान को भी जोखिम में डालने से नहीं चूकते। लोगों की ऐसी हरकतों से राह चलते लोग भी हादसों का शिकार हो रहे हैं। हाल ही में पुणे में ‘इंस्टाग्राम रील’ बनाने के दौरान लापरवाही से मोटर साइकिल चलाने के कारण सड़क पर चल रही एक महिला को टक्कर लगी और मौके पर ही उसकी मौत हो गई। फिर, ‘रील्स’ में कुछ भी दिखाने-जताने का चलन भी चिंतनीय है। उपहास और अभद्रता की यह नई संस्कृति हैरान-परेशान करने वाली है।

पिछले दिनों ताजमहल में एक ‘यूट्यूबर’ द्वारा बनाई गई ‘रील’ में विदेशी पर्यटक पर छींटाकशी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इस रील का भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग ने संज्ञान लिया और ‘रील’ बनाने वाले के खिलाफ पर्यटन थाने में तहरीर भी दी। दुखद है कि देश की छवि बिगाड़ने से लेकर, राष्ट्रीय संपत्तियों की सुरक्षा तक के लिए भी यह जुनून खतरा बन रहा है। बीते दिनों आगरा रेलवे स्टेशन पर ‘रील’ बनाने के लिए आरोपी अपनी कार लेकर स्टेशन के प्लेटफार्म पर आ गया था। इस वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद आरोपी के खिलाफ कार्रवाई की गई।

पिछले साल सरकार द्वारा बहुत से विदेशी ऐप पर प्रतिबंध लगाने के बाद ‘इंस्टाग्राम’ की लोकप्रियता काफी बढ़ गई। यहां साझा किए गए वीडियो खूब वायरल होने लगे, जिससे इंस्टाग्राम के उपयोगकर्ताओं का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ा। इंस्टाग्राम पर करीब बीस फीसद सामग्री ‘रील्स’ होती है। इसी को देखते हुए कुछ समय पहले यह भी सामने आया कि इंस्टाग्राम रील्स बनाने वालों को कुछ नगद पारितोषिक देने की भी तैयारी कर रहा है।

निस्संदेह, यह एक सोशल मीडिया मंच की सधी हुई व्यावसायिक रणनीति है, जो युवाओं के भविष्य को अंधकार में धकेल रही है। कमाई का यह जरिया कोई सधा, सही मार्ग नहीं कहा जा सकता। बहुत से सोशल मीडिया प्लेटफार्म घटती-बढ़ती लोकप्रियता और सरकारी नियमों में बदलाव के साथ अपना रुख बदलते हैं। किसी भी दिन इन पर प्रतिबंध लग सकता है। ऐसे में जीवन से जुड़े व्यावहारिक दायित्वों का निर्वहन इस छ्लावे-दिखावे भरी दुनिया के दम पर तो नहीं ही हो सकता है।

यह चिंता का विषय है कि उम्र का ऐसा दौर, जब समय और ऊर्जा का सकारात्मक इस्तेमाल कर अपना भविष्य गढ़ा जाना चाहिए, युवा एक आभासी मायाजाल में उलझ रहे हैं। महिलाएं अपनी निजता और सुरक्षा को दांव पर लगा रही हैं। बच्चे अजब-गजब भाषा बोल रहे हैं। यह दिशाहीनता लोगों के व्यक्तिगत जीवन पर ही नहीं, पूरे सामाजिक परिवेश पर नकारात्मक प्रभाव डालने वाली है।

दरअसल, तकनीकी माध्यमों का यह दुरुपयोग लोगों की सोच और समझ पर ही नहीं, सार्वजनिक स्थलों पर भी अतिक्रमण किए जाने जैसा लगता है। बस या रेल में हंसी-मजाक के वीडियो बनाने के लिए कभी यात्रियों के करीब जाकर बीमार होने का अभिनय करना, तो कभी भयभीत करने वाला अंदाज दिखाना, अन्य लोगों की सहजता और सुकून छीनने वाला व्यवहार है। निस्संदेह, स्व-विवेक और आत्मनियमन से अपने व्यवहार को न साधने वाले लोगों के लिए ऐसे वीडियो बनाने के मामले में सख्त नियम लागू करना जरूरी है।

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First published on: 28-03-2023 at 22:50 IST